कायाकल्प हेतु योगाचार्य पुष्पदीप ने कराया शंख प्रक्षालन।
कायाकल्प हेतु योगाचार्य पुष्पदीप ने कराया शंख प्रक्षालन।
सुविवि योग केंद्र में अध्यनरत विद्यार्थियों ने केंद्र के योगाचार्य पुष्पदीप के निर्देशन में की शंख प्रक्षालन की क्रिया जानकारी देते हुए योग केंद्र समन्वयक डॉ दीपेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि यह क्रिया ऋतु परिवर्तन के समय वर्ष में मात्र दो बार की जाती है। जिससे आंतों में चिपका पुराना मल साफ होता है। जिससे पेट के रोग जैसे कीड़े, एसीडिटी, गैस, कब्ज आदि दूर हो जाते हैं। भीतरी आंतों की सफाई होने से नजला, कफ व जोड़ों के दर्द को भी लाभ मिलता है। त्वचा और चेहरे की चमक बढ़ जाती है, केंद्र के विद्यार्थियों को शंख प्रक्षालन का अभ्यास कराते हुए योगाचार्य पुष्पदीप प्रजापत ने बताया कि हठयोग के शोधन कर्मों में विशिष्ट शोधन कर्म शंख प्रक्षालन है। इस क्रिया में संपूर्ण आहारनाल की स्वच्छता जल तत्व से की जाती है। इस क्रिया के द्वारा पूरे शरीर का नव-निर्माण होता है, शरीर के अंदर के विषाक्त तत्व निकाल दिए जाते हैं। जिससे शुद्ध तत्व निर्मित होता है। यह अन्ननली के मुख से गुदा मार्ग तक की सफाई की क्रिया है। इस क्रिया को हल्का गर्म नमकीन जल पीकर ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन, तिर्यक भुजंगासन और उदराकर्षण आसनों के साथ किया जाता है। तत्पश्चात मल विसर्जन किया जाता है। इस क्रम को 16 से 20 गिलास पानी पीकर किया जाता है। सावधानियाँ, लाभ एवं स्थान-वातावरण की जानकारी देते हुए योग्य निर्देशन में क्रिया को करना बताया। शंख प्रक्षालन के बाद योगनिद्रा का अभ्यास और सात्विक खिचड़ी का सेवन किया गया। आज के इस अभ्यास में मनोज, विवेक, विनीता, ट्विंकल, अंकिता, रीना, रितिका, झील, शानू, मीना, माेनू, मीनू, ज्योति, चाहत, अरुंधति और चारु ने क्रिया में भाग लिया। क्रिया को सम्पन्न कराने में प्रीति और प्रियंका ने सहयोग किया।
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