होलिका दहन का शुभ मुहूर्त*

 . *होलिका दहन का शुभ मुहूर्त*



*24 मार्च 2024 रविवार की रात 11.13 के बाद का सारा समय श्रेष्ठ।* 


    धर्म शास्त्रों के अनुसार भद्रा ( विष्टि करण ) रहित फाल्गुनी पूर्णिमा की रात होलिका दहन के लिये श्रेयस्कर है। होलिका दहन दिन में पूर्णतया निषेध है।

     प्रदोष काल ( सूर्यास्त के बाद लगभग अढ़ाई घण्टे ) भद्रा रहित काल होलिका दहन के लिए श्रेष्ठ समय शास्त्रकारों ने कहा है। 

     प्रदोष काल में भद्रा हो तो रात में जब भी भद्रा समाप्त हो अर्थात् भद्रा समाप्ति बाद होलिका दहन शुभ कहा है।

     भद्रा देर रात तक हो तो भद्रापुच्छ काल में होलिका दहन श्रेष्ठ कहा गया है।

     कतिपय विद्वान् निशीथ के बाद होलिका दहन निषेध करते हैं वह सब शास्त्र विरुद्ध है। निशीथ बाद निषेध करेंगे तो भद्रापुच्छ शब्द का औचित्य ही नहीं रहेगा। ये सब समझने का फेर है। 

     जैसा कि गत वर्ष कुछ विद्वानों ने भद्रा रहते भद्रायुक्त प्रदोष काल में ही होलिका दहन करवा दिया था जो पूर्णतः शास्त्र विरुद्ध निर्णय था।

     निर्णय सिन्धु आदि धर्म ग्रन्थों के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष काल में या भद्रा उपरान्त फाल्गुनी पूर्णिमा की रात ही होलिका दहन करना श्रेयस्कर है।


          *होलिका दहन मुहूर्त*

     *इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च रविवार को प्रदोष व्यापिनी तो है परन्तु प्रदोषकाल में भद्रा दोष व्याप्त है। अतः भद्रोत्तर अर्थात् भद्रा समाप्ति बाद रात्रि में 11.13 बाद ही होलिका दहन सम्भव है पूर्व में नहीं।*

    *और हां 11.13 बाद परम्परानुसार होलिका का विशेष पूजन करके होलिका दहन करना चाहिए। शास्त्रों में भद्रा शुद्धि के बाद करने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।*

      *विशेष- आजकल कुछ विद्वानों द्वारा लिखा जा रहा है होलिका दहन इतने बजे से इतने बजे तक शुभ। महोदय किसी भी शास्त्र में इतने बजे तक लिखने का कोई भी निर्णय नहीं लिखा है। इससे जनता भ्रमित होती है। यदि कोई प्रमाण हो तो हमें भी बताएं जिससे हम भी सुधार कर सकें।*

      *और हां आजकल कुछ विद्वान् यह भी कहने लगे हैं कि इस बार होली पर दो -चार -पांच -सात विशेष शुभ योग बन रहे हैं। ये सब बेकार की बातें हैं। जनता जनार्दन से विनम्र अनुरोध है कि होली के दिन कोई भी शुभ कार्य न करें।कितना भी शुभ योग कोई लिखे या बताएं सब मिथ्या हैं अज्ञानता है। हमारे होली और यहां होलाष्टक दोनों निषेध हैं।*


     *पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 24 मार्च को प्रातः 09:56 बजे।*

     *भद्रा दिन के 09.56 से रात्रि 11.13 तक।*

      *अतः गोबर के बड़कूलओं की माला (जेऴ बनाना) बनाने का काम सुबह 09.56 से पहले कर लें।*

     *घर में होली की पूजा करना, होली स्थल पर जाकर पूजा करना, महिलाओं द्वारा परम्परागत पूजा करना इनमें भद्रा काल का कोई दोष नहीं है। अर्थात् दिन में कभी भी पूजा आदि कर सकते हैं।*

     *पूर्णिमा तिथि समाप्ति 26 मार्च को मध्याह्न 12:30 बजे।*

और भी व्रतआदइक की स्थिति समझनी होगी।     

    हूताशिनी पूर्णिमा रविवार को है।

    करि दिन पूर्णिमा रविवार को है।

    चांद पूर्णिमा व्रत रविवार को है।

     पूर्णिमा व्रत रविवार को है।

     सत्यनारायण व्रत सोमवार को है।

     होलाष्टक समाप्ति सोमवार है।

     धुलण्डी छारंडी सोमवार को है।

विशेष - *प्रश्न आ रहे हैं कि ब्यावली अर्थात् नव विवाहिता लड़कियां होलाष्टक में पीहर कैसे आएंगी। होलाष्टकों से पूर्व या होली के दिन पीहर आने का कोई दोष नहीं है।*

     होली महापर्व की अनन्त असीम शुभकामनाएं।

शिक्षाविद् पं. कौशल दत्त शर्मा

पूर्व जिला नोडल अधिकारी संस्कृत शिक्षा

नीमकाथाना राजस्थान

9414467988

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