गीतकार समीर अंजान के सफरनामा और भजन सम्राट अनूप जलोटा के भजनों से सजी स्वरांजलि झीलों की नगरी में हुई एक यादगार संगीत की शाम बेबसी देखिए समंदर की पानी रखता है पी नहीं सकता - गीतकार समीर अंजान

 गीतकार समीर अंजान के सफरनामा और भजन सम्राट अनूप जलोटा के भजनों से सजी स्वरांजलि


झीलों की नगरी में हुई एक यादगार संगीत की शाम


बेबसी देखिए समंदर की पानी रखता है पी नहीं सकता - गीतकार समीर अंजान







उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। इंदिरा एंटरप्राइजेज और सृजन द स्पार्क की ओर से लेक सिटी की हसीन वादियों में दो दिवसीय स्वरांजलि कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा मुर्डिया की स्मृति में भारतीय लोक कला मंडल के रंगमंच पर हाल ही में 26 और 27 मार्च को किया गया। जिसमें लेकसिटी वासियो ने हजारों की संख्या में इंदिरा मुर्डिया को श्रद्धांजलि अर्पित की। दो दिवसीय इस कार्यक्रम के पहले दिन भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भजनों की सरिता प्रस्तुत की। पद्मश्री जलोटा ने पहले दिन ऐसी लागी लगन, मेरा कृष्ण कन्हाई, राधे अलबेली सरकार जैसे कई सुपरहिट भजन सुनाए तो उपस्थित दर्शक भजन की गंगा में झूमने लगे। सृजन द स्पार्क के अध्यक्ष दिनेश कटारिया ने बताया कि दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत सुप्रसिद्ध गीतकार समीर अंजान के सफरनामे से हुई। इस अवसर पर गीतकार समीर ने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को प्रस्तुत करते हुए एक से बढ़कर एक सजीव गीतों की प्रस्तुति मंच से करवाई। उन्होंने अपने सफरनामा की कहानी को गीतों के माध्यम से सुनाते हुए दर्शकों को गुदगुदाया और साथ ही साथ अपनी बात रखते हुए दिलचस्प किस्से भी सुनाएं। प्रसिद्ध गीतकार अनजान के पुत्र गीतकार समीर ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत चिट्ठी ना कोई संदेश गाने से की । जिसे अमृतसर की गायिका हरगुन कौर ने गाया। गीतों का सिलसिला कुछ इस तरह से शुरू हुआ वह अपने अनुभवों को सुनाते हुए जीवन के शुरुआती दौर की बात करते गए और उसी के आधार पर एक के बाद एक बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम, दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है, आपके हसीन रुख पर, रोते हुए आते हैं सब मुकद्दर का सिकंदर जैसे बेहतरीन गीतों की झड़ी लगा दी। जिसे सुनकर उपस्थित संगीत प्रेमी ताली बजा-बजा कर गीतों का आनंद ले रहे थे। कार्यक्रम में गायक कलाकार जमाल खान, कुलदीप सिंह चौहान, दीपांशी यादव, हरगुन कौर ने समीर के गीतों को अपनी सुमधुर आवाज में पिरोया और संगीत प्रेमियों को अपने साथ थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। संगतकार के रूप में गिटार, तबला, ढोलक, कांगो, कीबोर्ड पर सौरभ शर्मा, शशि गुप्ता, के. एम.शर्मा, संजय चौहान, पवन राजा, अमित शर्मा और अनुराग श्रीवास्तव ने अद्भुत कमाल दिखाया। कार्यक्रम का अंतिम गीत फिल्म नमक हलाल का "पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे" रहा। सफरनामा का यह सफर शहर वासियों को हमेशा याद रहेगा। इस अवसर पर गीतकार समीर अंजान ने कहा मुझे सुनने के लिए अभी आपको कई बार झीलों की नगरी में बुलाना होगा। कहानी और गीतों की फेहरिस्त बहुत लंबी है मेरे पास। प्रस्तुति के दौरान उन्होंने आयोजकों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अभी तो केवल 5 प्रतिशत गाने हुए हैं बाकी 95 प्रतिशत का क्या होगा?

 दो दिवसीय इस आयोजन के दूसरे दिन आइजी क्राइम जयपुर और सृजन द स्पार्क के मुख्य संरक्षक प्रसन्न खमेसरा उपस्थित थे। डॉ. नितिज मुर्डिया, डॉ. क्षितिज मुर्डिया, सृजन द स्पार्क के मानंद सचिव ब्रजेन्द्र सेठ, आस्था मुर्डिया, श्रद्धा मुर्डिया भी भागीदार बने। कार्यक्रम को देखने और सुनने के लिए शहर की विभिन्न संगीत संस्थाओं के विद्यार्थी, रेडियो जगत की प्रमुख हस्तियां और विभिन्न समाज संगठनों के कई पदाधिकारी एवं संचालक भी उपस्थित थे।

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