नयी शिक्षा नीति पाठ्यक्रमों पर की चर्चा नयी शिक्षा नीति अनूठा अभिनव - प्रो. सारंगदेवोत
सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय सदस्यों की बैठक सम्पन्न
नयी शिक्षा नीति पाठ्यक्रमों पर की चर्चा
नयी शिक्षा नीति अनूठा अभिनव - प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 12 दिसम्बर । जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय के सदस्यों की बैठक मंगलवार को प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय में कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत की अध्यक्षता में हुई। बैठक में नयी शिक्षा नीति के तहत संचालित पाठ्यक्रमों व आगामी दिनों में होने वाली नेक को लेकर विस्तार से चर्चा की गई व इसमें आने वाली कठिनाईयोें के समाधानों को खोजा गया। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए नयी शिक्षा नीति एक अनूठा अभिनव है, इसमें कुछ समय के लिए दिक्कत तो आयेगी लेकिन इसका भविष्य सुनहरा है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट सिस्टम के अनुसार रजिस्ट्रेशन करा दिया गया है। उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे थ्योरी टिचिंग की बजाय प्रेक्टिकल व कौशल विकास पाठ्यक्रमों पर पर अधिक ध्यान दे जिससे विधार्थी पढाई खत्म करने के बाद आत्म निर्भर बन सके। नेक पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हर विभाग को अपने स्तर पर नेक से ग्रेड प्राप्त करनी है इसके लिए पिछले पांच वर्षो में हर विभाग द्वारा किए गये कार्यो का डेटा जो तैयार है उसे नेक के अनुसार प्रारूप मंे करने की बात कही। नेक की तैयारियॉं गंभीरता से करनी होंगी ताकि विश्वविद्यालय को अच्छी ग्रेड मिल सके। कार्यकर्ताओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आये इसके लिए विश्वविद्यालय में नेक का सेल भी बनाया गया है, जो हर प्रकार की मदद करेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा हर क्षेत्र में अनेक कार्य किए गए हैं , आवश्यकता है उन्हें विधिवत प्रस्तुत करने की। नेक द्वारा हर विभाग का पांच वर्षो का लेखा जोखा, उपलब्धियों का दस्तावेज जांचा व परखा जायेगा तथा उनका प्रजेंटेशन भी देखा जायेगा। डीन , विभागाध्यक्ष अपने स्तर पर नेक का सेल बना इस दिशा में कार्य करें। बैठक में परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. मलय पानेरी, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. युवराज सिंह, डॉ. पंकज रावल, डॉ. शाहिद कुरेशी, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव सहित संकाय सदस्य उपस्थित थे।
यह जानकारी केके कुमावत ने दी।
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