भारतीय संस्कृति, परम्परा को हस्तांतरित करने का जिम्मा युवाओं का - प्रो. सारंगदेवोत

 भारतीय संस्कृति, परम्परा को हस्तांतरित करने का जिम्मा युवाओं का - प्रो. सारंगदेवोत




उदयपुर, 23 दिसम्बर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आवासीय वनशाला शिविर के समापन पर विद्यार्थियों की ओर से आयोजित सांस्कृतिक समारेाह का शुभारंभ मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डाॅ. रचना राठौड़, डाॅ. अमी राठौड़, डाॅ. बलिदान जैन, डाॅ. सुनिता मुर्डिया ने माॅ सरस्वती की तस्वीर पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। संास्कृतिक समारोह में भारतीय सनातन मूल्यों की झलक देखने को मिली।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने तीन दिवसीय शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि विद्यार्थियों ने भित्ती पत्रिका, जागरूकता रेली व नुक्कड़ नाटक से समाज में व्याप्त कुरूतियों को समाप्त करने प्रति जागरूक कर संकल्प पत्र भरवाया । 

शिविर प्रभारी डाॅ. रचना राठौड़ ने बताया कि देर रात तक चली सांस्कृतिक संध्याॅ में भारतीय संस्कृति एवं परम्परा से ओतप्रोत प्रस्तुतियाॅ जिनमें श्रीनाथ जी की झांकी, भगवान श्रीराम के वनवास से लेकर रावण का अंत करने, रिमिक्स पर हनुमान चालीसा, लोक देवता राजदेव जी की जीवनी, पन्नाधाय पर नृत्य नाटिका कर उपस्थित अतिथियों एवं विद्यार्थियों का भाव विभोर कर दिया। इसके अतिरिक्त राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली गानों पर नृत्य कर सभी को नांचने पर मजबूर कर दिया। 

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने अपने हाथों में मोमबत्ती जला देश प्रेम, हर व्यक्ति की मदद करने एवं आपसी भाई चारे को बनाये रखने का संकल्प लिया।  

कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि तीन दिवसीय शिविर में 700 विद्यार्थियों ने भाग लिया जिसमें से 50 प्रतिशत विद्यार्थियों की सांस्कृतिक कार्यक्रम में भागीदारी रही, जो सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि भारतीय, संस्कृति एवं परम्परा को आने वाली पीढ़ी में हस्तांतरित करने का जिम्मा युवाओं का है। संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर कहते थे कि जब समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा की अलख नहीं पहुंचेगी तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होने कहा कि संस्कृति को मानव बनाता है लेकिन आगे जाकर संस्कृति मानव को मानवता सिखाती है। संयुक्त परिवार ही जीवन का गुरूकुल हैं। हमारा देश दुनिया का सबसे युवा देश है। 

संचालन डाॅ. नीतु दाधीच, डाॅ. नीलम तिवारी ने किया जबकि आभार डाॅ. बलिदान जैन ने जताया।

इस दौरान डाॅ. अमित बाहेती, निजी सचिव केके कुमावत, डाॅ. सरिता मेनारिया, डाॅ. अमित दवे, डाॅ. रोहित कुमावत, डाॅ. हिम्मत सिंह, डाॅ. हरीश चैबीसा, डाॅ. नीतू दाधीच, डाॅ. निलम तिवारी डाॅ. इंदू आचार्य, डा. सुभाष पुरोहित, डा. ममता कुमावत, डाॅ. हरीश मेनारिया, डाॅ. रेणू हिंगड, डाॅ. हेमलता जैन, महेन्द्र वर्मा, डाॅ. तिलकेश आमेटा सहित छात्र छात्राओं सहित महाविद्यालय के अकादमिक एवं गैर अकादमिक कार्यकर्ताओं ने सांस्कृतिक समारेाह में अपनी भागीदारी निभाई।

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