मनुष्य का जीवन नास्तिक, आस्तिक से ज्यादा वास्तविक होना चाहिए ;विश्व एवं जन कल्याण की कामनाओं के साथ भागवत कथा महायज्ञ की हुई पूर्णाहुति



#मनुष्य का जीवन नास्तिक, आस्तिक से ज्यादा वास्तविक होना चाहिए ;

# देश आजाद ही नहीं आबाद भी होना चाहिए ;

# देश व प्रदेश का युवा भय  एवं पलायन मुक्त होना चाहिए; 

# धर्म शास्त्रों के अनुसार एक ही गलती बार-बार करने पर अपराध बन जाती है;

# विश्व एवं जन कल्याण की कामनाओं के साथ भागवत कथा महायज्ञ की हुई पूर्णाहुति ;

# मां का त्याग अदृश्य एवं संसार में सबसे बड़ा ;

# श्रीमद् भागवत महापुराण के अनुसार, कर्मों के अनुसार मानव का निर्माण होता है;

#देश एवं प्रदेश के शासकों को युवाओं के लिए भय और पलायन मुक्त नीतियां बनानी होगी;

# अनाचार से अत्याचार और अत्याचार से भ्रष्टाचार का जन्म होता है;

# संकीर्ता संघर्ष को जन्म देती है और समर्पण सामाजिक समरसता को ;

# युवाओं को सही समय पर सही संस्कार देकर ही सुखद भविष्य का निर्माण किया जा सकता है;

# श्रीमद् भागवत कथा उपदेश नहीं उपचार है ;

# प्रतिभाओं को शिक्षा से वंचित करने वाला देश व प्रदेश खुशहाल नहीं हो सकता;

जयपुर श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ में पूज्य व्यास जी श्री मदन मोहन जी महाराज ने अपनी अमृतवाणी में देश की स्वतंत्रता दिवस से पूर्व कहा कि, देश आजाद ही नहीं आबाद भी होना चाहिए, हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने जो सपना देखा है हमें उसे पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए।  राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक को अपने राष्ट्र धर्म का पालन करना चाहिए,  पैसा एवं प्रतिष्ठा के लिए नहीं नीति  एवं निष्ठा पूर्वक एक आदर्श और यथार्थ जीवन हमारा होना चाहिए,  जिससे स्वतंत्रता सेनानियों ने जो आबाद , खुशहाल,  प्रगतिशील देश का सपना देखा है उसे हम सब पूरा कर सके।

हमारे वेद पुराण एवं शास्त्रों में ऋषि वचनों में बताया है कि, जननी और जन्मभूमि को स्वर्ग से विशेष बताया है ‌ हम सब भाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ , भारत की भूमि पारस के समान है जो भी उसे छुएगा वह स्वर्ण का बन जाएगा , यदि वह सनातन धर्म पुराणों के अनुसार  मार्गदर्शन मैं चलता है।

आचार्य श्री ने यह भी कहा कि, देश में प्रदेश का युवा , भय एवं पलायन मुक्त होना चाहिए । देश  प्रदेश के शासकों को एवं सरकारों को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए कि, युवा अपने भविष्य को लेकर भयभीत नहीं हो एवं अपनी प्रतिभाओं को लेकर पलायन नहीं करें। जिस देश प्रदेश का युवा अपने भविष्य को लेकर भय मुक्त होगा एवं पलायन  मुक्त होगा उस देश प्रदेश का विकास सदा तेजी से होगा और विश्व में जगतगुरु बनने की राह खुल जाएगी।

श्रीमद् भागवत कथा के संयोजक राजकुमार गर्ग मनोहरपुर वालों ने बताया कि, आज के आशीर्वचन में श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार धर्म शास्त्रों कहते हैं कि, एक ही गलती बार-बार करने पर अपराध बन जाती है,  मां का त्याग अदृश्य संसार में सबसे बड़ा होता है एवं कर्मों के अनुसार ही मानव का निर्माण होता है और जैसे मानव का निर्माण होगा वह जहां रहेगा प्रदेश में देश का निर्माण भी वैसा ही होगा । समाज में अनाचार से अत्याचार और अत्याचार से भ्रष्टाचार का जन्म होता है , साथ ही संकीर्णता संघर्ष को जन्म देती है और समर्पण सामाजिक समरसता को जन्म देता है।

श्री आचार्य श्री ने अपनी अमृतवाणी में कहा की भागवत कथा उपदेश नहीं है उपचार है , मनुष्य के सभी मानसिक एवं सामाजिक विकारों को दूर करने की औषधि श्रीमद् भागवतभागवत कथा में उपलब्ध है। आचार्य श्री ने कहा की, प्रतिमाओं को अगर शिक्षा से वंचित किया जाता है तो वह देश  प्रदेश का भविष्य कभी खुशहाल नहीं हो सकता, हजारों साल पूर्व गुरुकुल व्यवस्था में राजा एवं गरीब दोनों के बच्चे एक स्थान पर पढ़ते थे एवं जो प्रतिभाएं होती थी उनको मौका मिलता था, जिसके कारण उसे देश प्रदेश व हिंदुस्तान खुशहाली हमेशा के लिए बनी रहती थी,  इसके साथ युवाओं को सही समय पर सही संस्कार दिए जाएं तो उनके उत्तम भविष्य निर्माण को कोई नहीं रोक सकता । मनुष्य का जीवन नास्तिक एवं आस्तिक से ज्या





दा वास्तविक होना चाहिए, जिससे वह अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझ सके।

श्रीमद् भागवत महापुराण के अनुसार मानव धर्म से बढ़कर कोई संप्रदाय नहीं होता,  अतः हमें संप्रदाय सोच को मानव धर्म के लिए संकीर्ता से निकाल कर, राष्ट्र हित में संकलिपत होना चाहिए।

आचार्य श्री के अनुसार, वह देश धन्य हैं जहां गंगा बहती है , वह समय धन्य जिसमें सत्संग होता है, वह संपत्ति धन्य है जिसकी प्रथम गति होती है, धन की तीन गति पुराणों  में गिनाई गई है , दान , भोग और नाश।

आचार्य श्री ने यह भी कहा कि गृहस्थ आश्रम के माध्यम से व्यक्ति काम से राम की यात्रा कर सकता है, क्योंकि 

ग्रहस्थ व्यक्ति साधना करें तो परमात्मा को भी अपना पुत्र बन सकता है, ग्रहस्थ व्यक्ति सात्विक जीवन में कर्तव्य, संस्कार, प्रेम, दया ,करुणा, संवाद, समाधान, शांति ,आनंद, परमानंद आदि आदि को समय-समय पर धर्म के अनुसार पालन करता है।

श्रीमद् भागवत कथा के सहसंयोजक श्री गोवर्धन शर्मा अमित गुप्ता अमित गुप्ता ने बताया कि विश्व की मंगल कामनाओं के साथ महायज्ञ की पूर्णाहुति की गई।

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