मंगल गीतों एवं मेहंदी लगाकर 700 से अधिक महिलाओं ने रुक्मणी विवाह का बनाया महाउत्सव ;
#मंगल गीतों एवं मेहंदी लगाकर 700 से अधिक महिलाओं ने रुक्मणी विवाह का बनाया महाउत्सव ;
# मानवता के विकास का मूल मंत्र है श्रीमद् भागवत गीता में;
# भारत को विश्व गुरु बनने के लिए श्रीमद् भागवत गीता के उपदेशों का अनुसरण करना होगा;
# संस्कार एवं संस्कृति का संवर्धन सत्संग एवं धार्मिक सभाओं से ही होता है;
# परिवार, राष्ट्र और विश्व कल्याण की मंगल कामनाओं का समावेश है श्रीमद् भागवत पुराण ;
# भारत के प्राण हमारे संस्कार और संस्कृति है;
# आनंद, प्रेम, करुणा, सेवा, भाव, त्याग, समर्पण जैसे दिव्य गुणों से ही मानवता का विकास संभव है;
# मानव के सभी विकारों को दूर करने का मूल मंत्र श्रीमद् भागवत गीता में;
# प्रेम सभी वासनाओं का अंत है;
पूज्य व्यास जी श्री मदन मोहन जी महाराज के द्वारा श्रीमद् भागवत
कथा की अमृत वर्षा करते हुए बताया कि, कृष्ण केवल अतीत नहीं भविष्य भी हैं। माया मोहित जीवन के लिए कृष्ण एक बालक हैं, भक्तों के लिए भगवान है, लेकिन ज्ञानी एवं विवेक की दृष्टि से कृष्ण विश्वात्मा है । कृष्ण जैसा ना कोई रागी है, न वैरागी है और न अनुरागी है । कृष्ण काल्पनिक नहीं परम तत्व है , साधना की परिपूर्ण अवस्था प्रेम और आनंद का समन्वय है।
सनातन धर्म के अनुसार वेद एवं पुराणों के अनुसार अखिल विश्व, विष्णु का स्वरूप है लेकिन भारत संपूर्ण विश्व का हृदय है एवं भारत के स्थान हमारे संस्कार और संस्कृति है तथा संस्कार एवं संस्कृति का संवर्धन केवल सत्संग एवं धार्मिक सभाओं से ही होता है जिसके चलते भारत हजारों साल पहले विश्व गुरु था और अगर वर्तमान में भी भारत के लोग श्रीमद् भागवत गीता के उपदेशों का अनुकरण अपने जीवन में करेंगे तो भारत एक बार फिर विश्व का का जगतगुरु बन सकेता है।
श्रीमद् भागवत कथा के संयोजक राजकुमार गर्ग मनोहर वालो ने बताया कि आज रुक्मणी विवाह का आयोजन किया गया जिसमें 700 से अधिक महिलाओं ने मांगलिक उच्चारण करते हुए हाथों में मेहंदी लगाकर नाच गाना करते हुए रुक्मणी विवाह के महा उत्सव में शामिल हुई और इस अवसर पर महिलाओं ने 151 से अधिक वैवाहिक साड़ीया एवं बेस , चुनरी, 16 सिंगार की सामग्री, सुहाग सामग्री, स्वर्ण- चांदी के आभूषण एवं वैवाहिक जीवन को उत्साह देने वाली सभी सामग्री भेट रुक्मणी विवाह में भेट की ।
आचार्य श्री ने श्रीमद् भागवत गीता के माध्यम से बताया कि, भगवान कृष्ण की लीलाएं एवं कथाएं साधारण सी प्रतीत होती है लेकिन सामाजिक समरसता का महत्वपूर्ण संदेश देती है । अनुसरण करने से अंतःकरण शुद्ध होता है , मन की मलिनता को दूर करने के लिए अपने अंदर झांककर देखना चाहिए। शुद्ध आत्मा का परमात्मा से मिलन बड़ा जल्दी होता है एवं बिना शरणागति के शांति नहीं मिलती । प्रेम सभी वासनाओं का अंत करता है एवं परमात्मा खोजने से नहीं अपने अंदर झांकने से मिलता है।
आचार्य श्री ने यह भी कहा कि, परिवार , राष्ट्र और विश्व के कल्याण की मंगल कामनाओं का समावेश श्रीमद् भागवत पुराण में विभिन्न श्लोकों के माध्यम से बताया गया है । इसके साथ ही मनुष्य श्रीमद्भागवत पुराण के विभिन्न श्लोकों का अध्ययन कर उन्हें दिए गए संदेश एवं उपदेश को अपने जीवन में लागू करता है तो मानव अपने सभी विकारों को एवं सभी वासनाओं को दूर कर सकता है । भारत को एक बार पुन विश्व ग्रुरु बनाना है तो, भारत के सभी मनुष्यों को श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों का अनुसरण करना होगा।
श्रीमद् भागवत कथा के सह संयोजक श्री गोवर्धन शर्मा, पंडित पुरुषोत्तम भारद्वाज, योगेश शास्त्री एवं अमित गुप्ता ने बताया कि, श्रीमद् भागवत कथा में दिनांक 13 अगस्त 2023 को श्रीमद् भागवत कथा मैं सुदामा चरित्र, सुखदेव पूजन, एवं महायज्ञ के साथ कथा का समापन
होगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें