"भ्रष्टाचार के विरोध में राष्ट्रीय जन-जागृति ही राष्ट्र को भ्रष्टाचार जैसी कुरीतियों से मुक्त करा सकती है ।।
आज आजादी से इतने वर्षों पश्चात भी भ्रष्टाचार की जड़े इतनी मजबूत है कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है, घोटालों और रिश्वतखोरी ने देश को काफी पीछे खींच दिया है ऐसे में जरूरत है सही समय पर जागरूक होने की, जरूरत है सही समय रहते संभल जाने की। क्योंकि हालात ऐसे ही रहे तो देश को गर्त में जाने से कोई नहीं बचा सकता। भ्रष्टाचार पर विचार व्यक्त करने बैठे तो कभी खत्म ही न हो, लेकिन इससे मुक्ति पाने का सबसे आसान उपाय स्वयं को इस मुहिम की सबसे पहली कड़ी बनाना बाकी कड़ियां खुद व खुद जुड़ती चली जायेंगी। आज हमको सारे काम आसानी से करवा लेने की आदत सी पड़ चुकी है, लाइन में न लगाना पड़े, कुछ ले दे कर घर बैठे ही काम हो जाए। कुछ पैसे ही तो देने पड़ेगा, ऐसी सोच ही भ्रष्टाचार की उपज होती है। यही सोच का नतीजा है कि आज कोई भी अच्छी परियोजना लाने के लिए सरकार को जद्दोजहद करनी पड़ती है। आज मैं इस बीमारी से मुक्ति के विषय में कुछ बातें बताना चाहता हूँ, शायद मेरे विचार से कोई सहमत ना हो, परंतु मेरा मानना है कि यदि हम अपने अपने अधिकारों को त्याग अपने कर्तव्यों को पूरी तन्मयता से निभाएं तो अगले कुछ वर्षों में शायद देश से भ्रष्टाचार को कुछ हद तक कम कर सकें।
नैतिक मूल्यों में आई भारी गिरावट, भ्रष्टाचार का मूल कारण है, आज शायद ही किसी व्यक्ति को संविधान में दिये गए नीति निर्देशक तत्वों के विषय के बारे में मालूम होगा। भ्रष्टाचार के अनेक रूप है चोरबाजारी, रिश्वतखोरी, दलबदल, जोर- जबरदस्ती। भ्रष्टाचार वर्तमान में एक नासूर बनकर समाज को खोखला करता जा रहा है। धर्म का नाम लेकर लोग अधर्म को बढ़ावा दे रहें है, आज दोषी व अपराधी धन के प्रभाव में स्वच्छंद होकर घूम रहे हैं. भ्रष्टाचार का हमारे समाज व राष्ट्र पर व्यापक रूप से असर हो रहा है, समाज में भय, आक्रोश व चिंता का वातावरण बन रहा है, आजकल तो सेना में भी भ्रष्टाचार फैल रहा है, जिसके कारण देश की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। भ्रष्टाचार किसी व्यक्ति विशेष समाज की ही नहीं, संपूर्ण राष्ट्र की समस्या है, इसका निदान केवल प्रशासनिक स्तर पर हो सके ऐसा संवभ नहीं है, इसका समूल विनाश सभी के सामूहिक प्रयास के द्वारा ही संवभ है। व्यक्तिगत स्तर पर ये आवश्यक है कि हम सब यह समझें कि समाज से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का उत्तरदायित्व हम पर ही है, इसके लिए सभी धार्मिक, सामाजिक व समाजसेवी संस्थाओं को एकजुट होना होगा। भ्रष्टाचार का कैंसर हमारे देश के स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है, यह आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बना हुआ है, हमें भ्रष्टाचार पर गंभीरतापूर्वक विचार करके उसे अपने आचरण से निकालने का प्रयत्न करना होगा तथा जिन कारणों से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, उन्हें दूर करना होगा। व्यक्तिगत स्वार्थ को छोडकर भौतिक विलासिता से दूर रहना होगा. ईमानदार लोगों व अधिकारियों को पुरस्कृत करना होगा, भ्रष्टाचार के समाधान के लिए आवश्यक है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर कानून बने और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, तथा साथ ही राजनीतिक हस्तक्षेप को पूरी तरह समाप्त करना होगा। इस के लिए सख्त प्रशासन की जरूरत है,
जिस प्रकार रात के बाद सवेरा होता है ठीक उसी प्रकार हमें साथ मिलकर थोडे से प्रयत्न करने के बाद हमको भ्रष्टाचार मुक्त समाज मिलेगा, और जब एक समाज भ्रष्टाचार मुक्त होगा तो राज्य को इससे मुक्ति पाते देर नहीं लगेगी और राज्य के साथ साथ हमारा देश भ्रष्टाचार मुक्त मिलेगा ।।
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