क्या है राणा सांगा का टोंक से संबंध ? खानवा युद्ध के विजेता थे राणा सांगा --




 क्या है राणा सांगा का टोंक से संबंध ? खानवा युद्ध के विजेता थे राणा सांगा -- कैलाश चंद्र कौशिक

जयपुर। टोंक , डिग्गी का यह एक शिलालेख प्रमाणित करता है कि डॉ. योगेंद्र सिंह नरुका शिक्षाविद्  के  अनुसार खानवा के युद्ध में राणा सांगा हारे नहींं थे ,अपितु खानवा से बाबर को बुरी तरह से खदेड़ने के बाद घायल अवस्था में बसवा दौसा आए वहाँ के वैद्य उनका इलाज करने में असमर्थ रहे क्योंकि उनके तोप का बारूद लगा था और उसका जहर शरीर में फैलता जा रहा था फिर तय हुआ कि एक तरफ से राणा सांगा चलेगे दूसरी ओर से मेवाड से उनके राजवैद्य चलेगे इसीक्रम में राणा सांगा डिग्गी टोंक पहुंचे। यहाँ उनकी हालत बहुत ही नाजुक हो चली थी। उन्होने अपनी अवस्था देखते हुए खानवा युद्ध में वीरता पराक्रम दिखाने वाले समस्त सामंतों को पुरस्कृत किया व जागीरे प्रदान की।  

इतिहासकार डाॅ.योगेन्द्र सिंह नरूका'फुलेता' बताते है कि इतिहास में यह भी देखने योग्य है कि राणा सांगा घायल अवस्था में सम्पूर्ण मैदानी भाग से मेवाड़ की ओर जा रहे थे बाबर ने पीछा कर उन्हे मारा क्यों नही???

मेवाड़ पर आक्रमण क्यों नही किया???

बाबर खानवा युद्ध का विजेता था तो मेवाड़ पर अपना प्रशासक नियुक्त क्यों नही किया ???

मेवाड़ से कर क्यों वसूल नही किया???

 इससे स्पष्ट होता कि बाबर स्वयं खानवा से अपनी जान बचा कर भागा था। डाॅ.नरूका बताते है कि बाबर ने अपनी आत्म कथा बाबर नामा में भी लिखा है कि राणा सांगा से अब और युद्ध करने का उसमें साहस नही है,उसने सांगा जैसा वीर योद्धा नही देखा।  

यहाँ यह भी विचारणीय है कि कोई भी हारा हुआ राजा अपने सामन्तों को पुरस्कृत करेगा या दण्ड देगा???

खानवा युद्ध के बाद राणा सांगा ने अपने सामंतों को पुरस्कृत किया था। डिग्गी,टोंक का शिलालेख बता रहा है कि किसी तिवाड़ी जी वैद्य ने उनका इलाज किया था तथा यही उन्होनें खानवा युद्ध के वीर पराक्रमी योद्धाओं को पुरस्कृत किया व जागीरे प्रदान की।

डिग्गी,टोंक में अपने सामन्तों को पुरस्कृत करने के बाद राणा सांगा माण्डलगढ़ भीलवाड़ा लाए गए,यहाँ तक आते आते बारूद का जहर शरीर में इतना अधिक फैल चुका था कि उनकी मृत्यु हो गई और 80घाव वाले अविजयी राणा सांगा ने अन्तिम सांस ली।राणा सांगा की कोई सानी नहीं है। नवीनतम पाठ्यक्रम संस्करणों में विद्धानों की अंतिम विवेचना को स्वीकार किया जाना चाहिए।

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