वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी गौ सेवक की राष्ट्रहितकारी मराठी मानुष से अपील-
वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी गौ सेवक की राष्ट्रहितकारी मराठी मानुष से अपील-
- कैलाश चंद्र कौशिक
जयपुर! परमप्रिय महाराष्ट्र वासी मराठी बंधुभगिनीयों , डा. कैलाश मोन्ढे का सादर नमस्कार। स्व:धर्म रक्षार्थ शिवाजी महाराज के आदर्शों को ध्यान दें, यही सच्ची श्रधांजली होगी, देश काल और परिवेश को यों समझें!
मिर्जा राजे जयसिंह स्वयं को राम का वंशज मानते थे। उसने शिवाजी महाराज के विरुद्ध युद्ध में जीत हासिल करने के लिए एक सहस्त्र चंडी यज्ञ भी कराया। शिवाजीमहाराज को इसकी खबर मिल गयी थी जब उन्हें पता चला की औरंगजेब हिन्दुओं को हिन्दुओं से लड़ाना चाहता है। जिस से दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे। तब छत्रपती शिवाजी महाराज ने जयसिंह को समझाने के लिए जो पत्र भेजा था। उसके कुछ अंश नीचे दिये हैं -
"हे रामचंद्र के वंशज, तुमसे तो क्षत्रिओं की इज्जत उंची हो रही है।सुना है तुम दखन कि तरफ हमले के लिए आ रहे हो। तुम क्या यह नही जानते कि इससे देश और धर्म बर्बाद हो जाएगा? अगर मैं अपनी तलवार का प्रयोग करूंगा तो दोनों तरफ से हिन्दू ही मरेंगे। उचित तो यह होता कि आप *धर्म के दुश्मन इस्लाम* की जड़ उखाड़ देते। आपको पता नहीं कि इस कपटी ने हिन्दुओं पर क्या क्या अत्याचार किये है। इस आदमी की वफादारी से क्या फ़ायदा। तुम्हें पता नही कि इसने बाप शाहजहाँ के साथ क्या किया। हमें मिल कर हिंददेश, हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के लिए लड़ाना चाहिए।" इतना ही नही छत्रपति ने जयसिंह को हिंदुस्तान का बादशाह बनाने का भी आश्वासन दिया था। जयसिंह मराठा तो नही थे, एक राजपूत वीर योद्धा थे।छत्रपति शिवाजीमहाराज ने मुगलों से पस्त बुंदेलखंड के युवा राजा छत्रसाल को मुगलो के लढने मे सहायता की। शिवाजी महाराज की प्रेरणा से छत्रसाल ने औरंगजेब जैसे बलाढ्य शत्रु से लोहा लेकर विजय प्राप्त की। छत्रसाल कोई मराठा नही थे, वे बुंदेला थे।
शिवाजीमहाराज ने मराठा राज्य स्थापित करने के लिए नही *हिंदवी स्वराज्य, हिंदू पदपादशाही* स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया! 1665 मे महाराष्ट्र से छत्रपति शिवाजीमहाराज ने राजस्थान मे जयपुर के मिर्जा राजे जयसिंह को धर्म के रक्षणार्थ निवेदन किया था, आज महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य मे राजस्थान के जयपुर से सभी महाराष्ट्र वासी मराठी बंधुभगिनीयों से हाथ जोड़कर नम्र निवेदन करता हूं की हमारे बीच मे छिपे हुए धर्म विरोधियों को पहचाने।जब विधानसभा मे हिंदूओं के हित में कोई बिल लाया जाए तो उसके फेवर मे कौन साथ दे सकता है। हिंदू धर्म का रक्षण कौन कर सकता है। याद रखिए *धर्म रहा तो देश रहेगा और देश रहा तो हम रहेंगे।* अतः फिर से निवेदन करता हूं की छत्रपति शिवाजी महाराज एवं संभाजी महाराज के धर्म के लिए किए गए बलिदान को ध्यान में रखकर ही *हिंदू धर्म रक्षकों* को भारी मतदान कर हिंदुत्व को मजबूत करे। यही क्षत्रियकुलावतंस *छत्रपति शिवाजी महाराज एवं संभाजी महाराज* को सच्ची श्रद्धांजली होगी।
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