भारत 2050 तक आएगा विकसित राष्ट्र की श्रेणी में- प्रो. सारंगदेवोत भारतीय ज्ञान प्रणाली में देश को विश्वगुरू बनाने का सार्म्थ्य- जल पुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह

 भारत 2050 तक आएगा विकसित राष्ट्र की श्रेणी में- प्रो. सारंगदेवोत 


भारतीय ज्ञान प्रणाली में देश को विश्वगुरू बनाने का सार्म्थ्य- जल पुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह



उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज) 15 दिसम्बर। क्वालिटी टीचिंग एण्ड एडवांस रिसर्च विषय पर दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय के सभागार में हुआ। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जल पुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि सक्षम ज्ञान से समृद्वि लाने वाली शिक्षा है और भारतीय ज्ञानप्रणाली के अनुरूप विद्या जब अभ्यास के माध्यम से अनुभूत होती है तब विनम्रता लाती है। विद्या प्रतिद्वन्द्विता रहित होती है जबकि शिक्षा प्रतियोगिता युक्त। भारतीय ज्ञान प्रणाली इतनी गहनतायुक्त है कि उसमें आज भी ये क्षमता है कि वो भारत को पुनः विश्वगुरू के आसन पर शोभित कर दे। उच्च स्तर के अनुसंधान हमेशा से पुरातन भारतीय परंपरा का हिस्सा रहे है। विद्या और अनुसंधान दोनों ही ज्ञान के उच्च सर्वमान्य और सर्वसुलभ स्वरूप के गठन का आधार है।

प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि 2050 तक भारत विश्व की सबसे बड़ी दूसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और दुनिया के कुल सकल घरेलु उत्पाद में 15 प्रतिशल से अधिक का योगदान देगा। इसके लिए क्वालिटी टीचिंग एवं एडवांस रिसर्च पर ज्यादा ध्यान देना होगा। देश में नवीन तकनीक के साथ उद्योग स्थापित करने होंगे। उद्योग जगत किसी भी देश की आर्थिक आय में एक प्रमुख योगदाकर्ता है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अंवेक्षण के जरिये कोई भी देश पुरी दुनिया को अपनी ताकत दिखा सकता है। इसके लिए भारत को कड़े कदम उठाने की सख्त जरूरत है उनमें तेजी से बढ़ रही जनसंख्यॉ पर नियंत्रण, साक्षरता दर बढ़ाने, रोजगार में वृद्धि, खाद्य उत्पाद में आत्म निर्भर, आमजन के जीवन स्तर में सुधार, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपायोग, उच्च तकनीक की सेना, आमजन के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना, परमाणु शक्तियों को मजबूत करना प्रमुख है। 

आईएएम स्वीडन के निदेशक डॉ. आशुतोष तिवारी क्वालिटी एजुकेशन वास्तव में ज्ञान प्राप्ति की वो विधा है जो आजीवन सीखने और ज्ञानार्जन को बढ़ावा देती है। समावेशिता और समानता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव है न की साक्षरता की उच्च दर। जर्मनी से आए मुख्यवक्ता प्रो.थोमस मुल्लेर ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और अनुसंधान में मौलिकता का समावेश करनेऔर क्रियात्मक होने के बात कही, स्वीडन की ग्रीन पार्टी से जुड़े सईद हरमोन्जी और आईएएस डॉ. आरके तिवारी ने बताया कि कोई भी शिक्षा स्वयं से जुड़ने,सर्वागींण विकास और बंधुत्व की भावना युक्त होने पर ही अपने उददेश्यों की प्राप्ति करने में सक्षम हो पाएगी है। 

कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और अनुसंधान को शिक्षक और शिक्षार्थी के संबंध तथा कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जानी ने कहा कि अनुसंधान विभिन्न क्षेत्रों में पूर्व में उपस्थित ज्ञान के मंथन और परख द्वारा नवीनतायुक्त ज्ञान के प्रस्फुटन को आकार देता है। 


कार्यक्रम में अतिथियों ने जलपुरूष डॉ राजेन्द्र सिंह द्वारा लिखित और कर्नल प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत द्वारा संपादित पुस्तक ‘‘विश्व जल शान्ति के प्रयास‘‘ तथा डॉ राजकुमारी द्वारा लिखित ‘‘मैनुअल ऑॅफ प्रैक्टिकल फिजियोलोजी एडं बायोकैमेस्ट्री ‘‘ का विमोचन किया गया।


इनोवेशन केन्द्र का किया शुभारंभ:-


प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि समारोह पूर्व अतिथियों द्वारा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एडवांस रिचर्स एण्ड इनोवेशन का शुभारंभ किया किया गया जिसमें नवीन संसाधनों को रखा गया है जिसमें विद्यार्थी को नवीनतम तकनीकों के साथ आगे बढ़ने व शोध नवाचारों से जुडे़ंगे। 


 संचालन डॉ. मधु मुर्डिया ने किया जबकि आभार डॉ. निरू राठौड़ ने जताया। 

 इस मौके पर रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आईजे माथुर, सुभाष बोहरा, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. शील्पा कंठालिया, डॉ. मधु मुर्डिया, डॉ. दिनेश श्रीमाली, डॉ. भारत सिंह देवड़ा, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, उदय भानसिंह डॉ. हेमंत साहू सहित विभागाध्यक्ष एवं संकाय सदस्य उपस्थित थे।

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