आलोक संस्थान असफलता भी जीवन का अटूट हिस्सा है स्वीकार करे :डॉ कुमावत
आलोक संस्थान
असफलता भी जीवन का अटूट हिस्सा है स्वीकार करे :डॉ कुमावत
आलोक संस्थान में ‘संस्कार ध्यान सभा’ का आयोजन, अभिभावकों और छात्रों को मिला जीवन का अर्थ खोजने का संदेश
उदयपुर संवाददाता जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। आलोक संस्थान में आज अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति एवं आलोक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष संस्कार ध्यान सभा का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावकों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. प्रदीप कुमावत ने जीवन, सफलता, असफलता और मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में अत्यंत प्रेरक विचार साझा किए।
डॉ. कुमावत ने कहा कि असफलता जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है और केवल सफल होना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि बच्चों और अभिभावकों दोनों को यह समझना चाहिए कि जीवन की असली उपलब्धि अपने भीतर के सार्थक अर्थ की खोज, कठिनाइयों से उभरने की क्षमता और चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करने में है।
उन्होंने कहा, “जीवन का लक्ष्य केवल उपलब्धियाँ नहीं बल्कि आनंद की प्राप्ति और अर्थपूर्ण जीवन जीना है।”
बढ़ते तनाव और आत्महत्या की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. कुमावत ने कहा कि परीक्षा, करियर और प्रदर्शन के नाम पर बच्चों पर अत्यधिक दबाव बनाना अभिभावकों की एक बड़ी भूल है। बच्चों का हर समय सुरक्षित और आरामदायक दायरे में रहना भी उनके विकास को सीमित करता है।
उन्होंने कहा, “बच्चों को चुनौतियों का सामना करना सिखाना होगा। उन्हें कंफर्ट जोन से बाहर लाना यही अभिभावक की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।”
उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे तनावमुक्त शिक्षा के वातावरण को बनाने में सहयोग करें क्योंकि स्कूल अकेले इस दिशा में सफल नहीं हो सकते। बच्चे घर और विद्यालय दोनों के वातावरण से सीखते हैं इसलिए सकारात्मक और संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।
उन्होंने इस सभा के माध्यम से देश के सभी अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों को संदेश देते हुए कहा कि “बच्चों को जीतना ही नहीं जीवन को समझना और जीना सिखाइए। तभी हम तनावमुक्त और अर्थपूर्ण भविष्य की पीढ़ी तैयार कर पाएँगे।”
सभा के अंत में डॉ. प्रदीप कुमावत ने सभी उपस्थितजनों को ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास कराया तथा मानसिक शांति, आत्मबल और संतुलन के लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल करने का आग्रह किया।
प्रारम्भ मे स्वागत उद्बोधन प्राचार्य शशांक टांक ने दिया, धन्यवाद प्रतीक कुमावत ने दिया।

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