नीमकाथाना के दिसंबर 2024 तक नगर परिषद उप सभापति श्री महेश मगोतिया जी के आज जन्मदिन को संयोग कहे या तोहफा की नीम का थाना नगर परिषद ,,, नगर पालिका में परिवर्तित हो गई,, आदेश अनुसार स्वायत शासन विभाग, राजस्थान सरकार*
*नीमकाथाना के दिसंबर 2024 तक नगर परिषद उप सभापति श्री महेश मगोतिया जी के आज जन्मदिन को संयोग कहे या तोहफा की नीम का थाना नगर परिषद ,,, नगर पालिका में परिवर्तित हो गई,, आदेश अनुसार स्वायत शासन विभाग, राजस्थान सरकार*
नीमकाथाना जिस प्रकार जिला मुख्यालय के अस्तित्व में आया था ।और लगभग 18 महीने या सुव्यवस्थित का कार्यालय हो रहे थे लेकिन राज्य सरकार ने कुठाराघात से 28 दिसंबर 2024 को नीम का थाना को जिला मुख्यालय से हटकर उपखंड स्तर कर दिया और सीकर जिले में पूर्व की भर्ती सम्मिलित कर दिया हटाने के बाद बहुत से जनप्रतिनिधियों ने और जिला बचाओ संघर्ष समिति ने युवा वर्ग ने अनेकों धरने और प्रदर्शन किए लेकिन और तथा रास्ता भी जाम रोड जाम भी एक दिन के लिए नीमकाथाना चक्का जाम भी रहा था और दो दिन तक हटाने के बाद एक वह दो जनवरी को बंद भी रहा था इतने विरोध हुए लेकिन राज्य सरकार जो गूंगी बहरी बैठी है उसके कान तक और मुंह तक बात पहुंची नहीं या वह जानबूझकर ऐसा नहीं करना चाहते वैसे तो स्पष्ट है इसमें राजनीतिक व्यवस्था पूर्ण कारण नजर आता है क्योंकि नीम का थाना जिले की मांग लगभग 60 वर्षों से थी नीमकाथाना के न्यायालय के पास एक होटल के पास यहां के ही निवासी श्री साइन जी तो आमरण अनशन करते-करते शहीद हो गए उसे समय तो कांग्रेस की सरकार थी तो भी नहीं बना यह तो कांग्रेस के विगत मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी ने जाते-जाते रेडियो की तरह जिलों को बांटा गया जिले के जो मापदंड और आमजन की मांग और वहां का इंफ्रा इंस्ट्रक्टर और वहां मुख्य मुख्य स्थान पर पर्याप्त सरकारी भूमि उपलब्ध हो ऐसे कई हमारे नीमकाथाना में उपलब्ध थे और उनमें संचालित भी जिला मुख्यालय हो रहा था उसके उपरांत भी दुर्भावना बस नीम का थाना के लाखों लोगों की जनता के साथ 28 दिसंबर को भयानक कुठाराघात किया गया इसके विरोध में उदयपुरवाटी से श्रीमान राजेंद्र सिंह गुड़ा भूतपूर्व दो बार राजस्थान सरकार में मंत्री रहे थे और उन्होंने नीम का थाना के मुख्य केंद्र बिंदु खेतड़ी मोड़ पर यहां के जनप्रतिनिधियों को बहुत कुछ भला बुरा कहा था और जयपुर में बैठी हुई मदनलाल सरकार को भी हजारों की संख्या की में भीड़ में उन्होंने अपना व्यक्ति भेज दिया था उसके उपरांत भी बहुत से जगह एकत्रित होकर भाषण प्रदर्शन आदि होते रहे लेकिन उन सभी का परिणाम सुनने रहा यह हमारे मौजूदा अकबर अमर एंथोनी रूपी तीन जन प्रतिनिधियों की नाइंसाफी, ना मंजूरी, और नाम के आस्तिक इत्यादि मुख्य मुख्य कर्म के कारण हमारा जिला नहीं रहा और हम वापस जो थे वही रहे आमजन को छोटे-छोटे काम के लिए 75 किलोमीटर जाना पड़ता है अधिकारी वर्ग को भी जाना पड़ता है ऊपर से आज दिनांक 9 जुलाई 2025 को लोगों को आशा थी की नगर पालिका से हमारी श्रेणी में उत्साह होकर विगत गहलोत सरकार ने नगर परिषद बना दी थी जिससे यहां पो के पद पर पद स्थापित व्यक्ति ही आकर अर्थात स्थानांतरण होकर आयुक्त बनाकर बैठ गए थे और उन्होंने जो किया वह आमजन को पता है और उनका स्थानांतरण भी हो गया और वर्तमान में एक नगर परिषद ही था जिसमें अधिकारी होते थे क्यों की नगर परिषद ऑफिस के अधीन नीम का थाना का लगभग 35 की संख्या में वार्ड एरिया अधीन आता है। वे तो पहले जब हमारे नीम का थाना में नगर पालिका थी उसे वक्त भी वार्डों की संख्या 35 थी अब जरूर सुनने में आ रहा था कि अब वार्डों की संख्या पड़ेगी और इसमें इनकी संख्या 50 के लगभग हो जाएगी अर्थात इसे दुर्भाग्य कहीं या विडंबना कि हमारी नीम का थाना के आमजन को जैसे थे वैसे की वैसे ही रख दिया राजनीतिक व्यवस्था के कारण जबकि ऐसा होना न्याय संगत है न्याय संगत नहीं है ऐसा नहीं होना चाहिए जिला अपना अस्तित्व रखता था और लगभग 1 वर्ष में पूर्णतया यह अब तक यदि जिला रहता तो लगभग 50% जिले की संरचना अधिकारियों के लिए संपूर्ण व्यवस्थाएं सर्किट हाउस इत्यादि का नक्शा जमीन आदि का सर्वेक्षण हो चुका था और सिर्फ राज्य सरकार की मंजूरी के अर्थात आदेश के इंतजार में रहा और करता करता रह गया।जो भी जिले में राज्य सरकार के अंतर्गत ज़ो मापदंड निश्चित है और उनके अनुसार उनकी निश्चित अनिवार्य सुनिश्चित किए जाते हैं है वे सभी होते ???? *लेकिन ऐसा हुआ ही ,नहीं हुआ**
ऊपर से आज दिनांक 9 जुलाई 2025 को स्वायत शासन विभाग राजस्थान सरकार जयपुर ने आदेश निकले की नीम का थाना वापस नगर पालिका बन गया। इसमें भी आमजन के साथ राज्य सरकार ने और स्वास्थ्य शासन विभाग के द्वारा अन्य अन्य अन्याय और कुठाराघात किया गया है जो कि न्याय संगत नहीं है,, ऐसा आमजन की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है जो कि नहीं होना चाहिए ❓ जो कि वर्षों से पीड़ित थे, और रहे ,और अभी भी है, उनका रास्ता, ओर अन्य कार्य कौन संपन करेगा । और पीड़ित व्यक्ति को संतुष्ट ,छोटे-छोटे काम कौन से श्रीमान करेंगे⁉️ जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं देते और उनके मन चाहते व्यक्ति का कार्य नहीं होने वाला भी हो रहा है, हो जाता था ,और हो रहा है चाहे वह किसी भी पार्टी का है जनप्रतिनिधियों को उससे कोई फर्क नहीं यहां इनकों प्रकरण अपने हि तैषी का हो कार्य बहुत ही आसानी से संपन्न हो जाता है ।जब⁉️ आमजन की हां , हो जाती है । और फिर वह ऐसी दब जाती है । कि उसके ऊपर कोई वजन(भोलाराम का जीव,,, की तरह) रख दिया हो ,, तो *इस नीम का थाना का राज्य सरकार ही कोई रास्ता निकले* तो निकल सकती आसान, सुविधा युक्त जिंदगी ! और यहां के जनप्रतिनिधि और यहां के प्रशासनिक अधिकारीयों के पास तो सिर्फ और सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता❓ किसी जनप्रतिनिधि के पास जाते हैं आवेदन लेकर और उन्हें समस्या बताई जाती है आवेदन लेकर रख लेते हैं। और लाल फिताशाही इनके पास भी है। उसका उपयोग यहां भी बहुत आसानी से कर लेते हैं । आमजन यूं ही जनप्रतिनिधियों और इन सरकारी कार्यालयों (नौकरशाही)के चक्कर काट काट कर हमेशा दुखी रहता है।। इसलिए नीमकाथाना के उज्जवल भविष्य को मध्य नजर रखते हुए इसके संपूर्ण अस्तित्व और इसके आसपास के अति पौराणिक महत्व रखने वाले धार्मिक स्थल और नीमकाथाना को सर्वाधिक राजस्व देने वाला हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ,खेतड़ी भी हमारे जिले में समाहित हो गया था है, लेकिन राज्य सरकार ने कुठारा घात किया है।। और दूसरा,, आमजन के साथ अन्याय और कुठाराघात आज कर दिया।। *राज्य सरकार ने यह भी एक जी के का प्रश्न बना दिया ,नीमकाथाना के ऊपर* यह न्याय संगत, नहीं है ,नहीं है ❓
इलेक्ट्रिक न्यूज़ रिपोर्टर शिंभू सिंह शेखावत सीकर नीमकाथाना राजस्थान ।
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