गोंडा में बाल श्रम: सिस्टम की नाकामी या मजबूरी? पहाड़ापुर में होटल पर काम करते दिखा मासूम
गोंडा में बाल श्रम: सिस्टम की नाकामी या मजबूरी? पहाड़ापुर में होटल पर काम करते दिखा मासूम
स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश गोंडा। जिले के तहसील कर्नलगंज व थाना कटरा बाजार क्षेत्र के अन्तर्गत पहाड़ापुर में एक नन्हा बच्चा, जिसकी उम्र स्कूल में किताबें थामने की होनी चाहिए थी,एक होटल में चाय के कप थामे काम करता पाया गया। यह दृश्य न केवल दिल दहलाने वाला है,बल्कि देश के कानूनों और व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) और बाल श्रम निषेध कानून के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना अपराध है,फिर भी यह बच्चा होटल में क्यों है? इस घटना के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला, आर्थिक मजबूरी। गरीबी के चलते कई परिवार अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय कमाई का जरिया बना देते हैं। दूसरा, जागरूकता की कमी। माता-पिता और होटल मालिक शायद कानून के प्रति उदासीन हैं। तीसरा, और सबसे चिंताजनक, सिस्टम की नाकामी। स्थानीय प्रशासन और श्रम विभाग की लापरवाही के चलते बाल श्रम जैसी घटनाएं खुलेआम हो रही हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का हक देता है,लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की कमी, शिक्षकों की अनुपस्थिति और गरीबी इस अधिकार को खोखला कर रही हैं। होटल मालिक की जवाबदेही तो बनती है, लेकिन माता-पिता और प्रशासन की भूमिका भी कम दोषी नहीं। इस बच्चे का भविष्य किताबों में नहीं, चाय के कपों में सिमट रहा है। समाधान के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई, जागरूकता अभियान और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान देना होगा। सवाल यह नहीं कि दोषी कौन, सवाल यह है कि इस बच्चे का बचपन और भविष्य कौन लौटाएगा?
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