जयपुर में जीवंत हुई रानी अबक्का की वीरता, नाट्य मंचन ने छू लिया दर्शकों का हृदय
जयपुर में जीवंत हुई रानी अबक्का की वीरता, नाट्य मंचन ने छू लिया दर्शकों का हृदय
जयपुर। अदम्य साहस, त्याग और देशभक्ति की मिसाल, देश की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी महान वीरांगना रानी अबक्का की शौर्य गाथा पर आधारित नाटक का भव्य मंचन 4 सितम्बर की रात जयपुर के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, मधुबन कॉलोनी, टोंक फाटक में किया गया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे जिन्होंने तालियों और जयकारों के साथ नाटक का आनंद लिया। मंचन में रानी अबक्का के जीवन के संघर्ष, उनके अदम्य साहस, समुद्री युद्धों में उनकी वीरता और मातृभूमि के प्रति उनके अटूट समर्पण को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। दर्शक भाव-विभोर होकर उनके साहस और बलिदान को महसूस करते रहे।
यह प्रस्तुति जय जिनेन्द्र महिला मंडल द्वारा आयोजित की गई थी। जयपुर के महावीर कुमार सोनी द्वारा लिखी गई पुस्तक "देश की प्रथम महिला स्वतंत्रता सैनानी महान वीरांगना अबक्का रानी" से प्रेरित होकर मंदिर कमेटी द्वारा यह नाटक आयोजित किया गया। इस नाटक का निर्देशन का कार्य फिल्ममेकर मिताली सोनी ने किया। कलाकारों के दमदार अभिनय, संवादों और जीवंत प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को गहराई तक प्रभावित किया। मुख्य भूमिका में रानी अब्बक्का का किरदार निकिता कासलीवाल द्वारा अत्यंत प्रभावशाली रूप में सशक्त अदाकारी के साथ प्रस्तुत किया गया। कहानी को अत्यंत रूचिकर बनाने की दृष्टि से इसकी रानी अबबका की स्टोरी में सुंदर नाट्य रूपांतरण करते गए इस मंचन को जीवंत दिखाने में ममता ठोलिया, सुधा टोंग्या, रीना मोदी, नीलम सोनी, नलिनी दोषी, मंजू पहाड़िया, मंजू गोधा, सुनीता छाबड़ा, नीतू सोनी, आयुषी ठोलिया, अम्बिका सेठी, मीनू अनोपडा ने अपनी शानदार अदाकारी से सबका मनमोह लिया। इस स्थान पर फ़िल्म निर्देशक मिताली सोनी के निर्देशन की बार बार सराहना भी हुई। कार्यक्रम का संचालन अर्पित जैन बड़जात्या व उषा जैन द्वारा किया गया। नाटक का नरेशन सीमा छाबड़ा द्वारा किया गया।
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अक्षय जैन मोदी और मंत्री अनिल छाबड़ा ने कहा कि इस नाटक का उद्देश्य इतिहास की महान वीरांगना की गाथा को जन-जन तक पहुंचाना है ताकि आज की पीढ़ी भी उनसे प्रेरणा ले सके। उन्होंने बताया कि ऐसी प्रस्तुतियां महिला सशक्तिकरण और देशभक्ति की भावना को और मजबूत करती हैं।
कार्यक्रम के अंत में समिति की ओर से सभी कलाकारों और आयोजकों का सम्मान किया गया। दर्शकों ने भी आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के नाट्य मंचन न केवल इतिहास को जीवंत करते हैं बल्कि समाज को प्रेरित करने का कार्य भी करते हैं।
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