राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में विश्वकर्मा जयंती उत्साहपूर्वक मनाई गई*

 *राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में विश्वकर्मा जयंती उत्साहपूर्वक मनाई गई*



 *भगवान विश्वकर्मा का जीवन हमें परिश्रम, नवाचार और राष्ट्र निर्माण हेतु प्रेरित करता है : प्रो. बी. पी.  सारस्वत, कुलगुरु*


 कोटा, 17 सितम्बर 2025 राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा में आज विश्वकर्मा जयंती बड़े उत्साह और पारंपरिक गरिमा के साथ मनाई गई। भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें वास्तुकला, निर्माण एवं तकनीकी सृजन का देवता माना जाता है, की स्मृति में विश्वविद्यालय परिसर में विशेष पूजा-अर्चना और सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरे परिसर में श्रद्धा और उत्साह का वातावरण बना रहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलगुरु माननीय प्रो. बी. पी. सारस्वत रहे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा का जीवन हमें परिश्रम, नवाचार और समाज कल्याण हेतु तकनीकी ज्ञान के उपयोग की प्रेरणा देता है। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों में सृजनशीलता और कौशल का विकास कर उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए तैयार करें।

इस अवसर पर कुलसचिव श्री दिवाकर जोशी, डीन डॉ. दिनेश बिरला, मैकेनिकल विभागाध्यक्ष प्रो. राजन करीर, प्रो. हरीश शर्मा, प्रो. अजय शर्मा सहित अनेक प्राध्यापक उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्री हरि कुमार शर्मा, वरिष्ठ कर्मचारी श्री मुकेश जैन, श्री राजेंद्र जैन, श्री सीताराम डांगी, श्री सत्यनारायण दुबे, श्री नरेंद्र सोलंकी, बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ, फैकल्टी सदस्य एवं स्टाफ ने भी पूजा-अर्चना में भाग लिया।

पूजा-अर्चना के उपरांत सामूहिक आरती की गई और दीप प्रज्वलन कर विश्वविद्यालय तथा प्रदेश की प्रगति की मंगलकामना की गई। विद्यार्थियों ने भी सक्रिय रूप से भाग लेते हुए तकनीकी ज्ञान और नवाचारों को समाज सेवा से जोड़ने का संकल्प लिया। अंत में सभी ने यह संकल्प लिया कि भगवान विश्वकर्मा के आदर्शों का अनुसरण करते हुए विश्वविद्यालय तकनीकी उत्कृष्टता की दिशा में निरंतर अग्रसर रहेगा और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा।

ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में तकनीकी मूल्यों के प्रति सम्मान और व्यावहारिक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं। विश्वविद्यालय परिवार का मानना है कि इस प्रकार के सांस्कृतिक-तकनीकी कार्यक्रम शिक्षा को और अधिक प्रासंगिक तथा मूल्यपरक बनाते हैं।

पूरे आयोजन में धार्मिक श्रद्धा, तकनीकी दृष्टिकोण और सांस्कृतिक उत्साह का सुंदर समन्वय देखने को मिला। कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण एवं धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


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