भारतीय सुप्रीम चीफ और हाई कोर्ट न्यायालय में जजस् की नियुक्ति, यशवंत वर्मा पर महा अभियोग की तैयारी, ऐश- आराम और गरीब को न्याय हराम
भारतीय सुप्रीम चीफ और हाई कोर्ट न्यायालय में जजस् की नियुक्ति, यशवंत वर्मा पर महा अभियोग की तैयारी, ऐश- आराम और गरीब को न्याय हराम -- कैलाश चंद्र कौशिक
जयपुर! भारत में ही और सभी राज्यों में और राजस्थान हाई कोर्ट में और अन्य नियुक्ति कोई भी पारदर्शी नहीं हुई इन अंकल जजस् के ट्रांसफर और सेवा निवृति भी मन चाही जगह होती हैं?
भ्रष्ट जजों की नियुक्ति के लिए कालॉजिउस सिस्टम अक्षय वरदान से कम नहीं है! धूर्त मेमूना बेगम उर्फ़ इंद्रा गाँधी पूर्व प्रधान मंत्री ने अपने मतलब के लिए मनचाहा कर दिया! आज भी वकील स्वंय की जजस् में नियुक्ति के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो से अपने काले कारनामे छुपा कर, अपने आप को पूर्ण सही और मानकों के अनुसार सिफारिश करा कर अपनी नियुक्ति नेता गिरी के दम पर करा लेते हैं! फिर कोई बड़ा मामला नहीं बने तब तक माननीय बेकुत् कमाई करते हैं? फिर करते रहो महा अभियोग..?? यह कठिन प्रक्रिया है?
इदिंरा गाधी ने 1967-68 में *बगैर LLB के कैलाश नाथ वांचू को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया* बना दिया। कानून के हिसाब से वो महाशय एक छोटा सा सिटी मजिस्ट्रेट भी नहीं बना सकते थे।: इसे कहते हैं सविंधान की धज्जियां उडाना।
हाईकोर्ट के जजों को आपके टैक्स के पैसों से कितनी अय्याशी मिलती है ... पूरा अनालिसिस करके क्या कर लोगे..??
जज को लगभग 8 घरेलू नौकर मिलते हैं - घर के सभी काम करने के लिए, वो घर जो कम से कम चार बड़े कमरों वाला मकान होता है, जो साहब को फ्री में रहने को दिया जाता है ?
जिसके हर कमरे में - और जज साहब चाहें तो टॉयलेट में भी AC लगे हुये होते हैं, जिनका बिल कभी साहब को नहीं चुकाना होता??
ये AC हर साल बदले जाते हैं -फ्री में - उसी तरह जैसे साहब का मोबाइल (जो हमेशा मार्केट में उपलब्ध सबसे मंहगा फोन होता है) और लैपटॉप भी हर साल बदला जाता है?
और ये 'पुराने AC, लैपटॉप या मोबाइल साहब को जमा नहीं करना पड़ता - वो उनके बच्चों या रिश्तेदारों के काम आते हैं ??
साहब को सुरक्षा के नाम पर (तीन शिफ्टों के मिलाकर) 12 पुलिसवाले मिले होते हैं जिनमें एक समय में तीन हर समय घर की सुरक्षा करते हैं और एक दरोगा रैंक का व्यक्ति बॉडी गार्ड रुप में साथ चलता है. मैडम को अलग से कहीं शॉपिंग करने जाना हो तो वह भी (दूसरी) सरकारी गाड़ी से -सरकारी ड्राइवर व सरकारी सुरक्षा गार्ड के साथ जा सकती हैं?
रिटायर होने के बाद भी साहब को एक प्रोटोकॉल ऑफिसर मिलता है जो विभिन्न काम निपटाता है जैसे कि किसी बीमारी की हालत में साहब किसी हॉस्पीटल पहुँचें तो वह प्रोटोकॉल ऑफिसर पहले से हॉस्पीटल पहुंचकर सब इन्तजाम देखता है कि साहब को प्राइवेट हॉस्पीटल में भी एक रुपया भी न देना पड़े ??
देश भर में कहीं भी जाने पर फ्री हवाई यात्रा और फ्री ट्रेन यात्रा (प्रथम श्रेणी AC) पत्नी व परिवार सहित, जहां जायें वहां फ्री A grade रहने की व्यवस्था ??
कहीं प्राइवेट आने जाने के लिए इनोवा जैसी गाड़ी और ऐसी ही न जाने कितनी सुविधायें साहब को फ्री में दी जाती हैं. और इसके बाद भी गर्मियों में एक महीने की और सर्दियों में करीब 12 दिनों की छुट्टी कम से कम मिलें - ये साहब का अधिकार है ??
साहब के संविधान की जानकारी पर कभी कोई सवाल न उठायें, न उनके फैसले पर कोई बुराई करें, बावजूद इसके कि हाईकोर्ट के जज का फैसला सुप्रीम कोर्ट में बदल सकता है, और सुप्रीम कोर्ट की सिंगल जज वाली बैंच का फैसला तीन या पांच जज वाली बैंच बदल सकती है. पता नहीं इन सबके पास संविधान की एक ही प्रति होती है या अलग अलग...और सबसे बड़ी बात यह कि अगले जज चुनने का अधिकार ये साहब लोग अपने पास ही रखते हैं जिससे अपने बच्चों, रिश्तेदारों और मित्रों के बच्चों को खुद 'जज' चुन सकें. वैसे भी, इतनी ताकतवर और ऐशोआराम से पूर्ण कुर्सी पर बैठने का अधिकार तो अपने ही बच्चों व रिश्तेदारों को ही तो देना चाहिए. इसीलिये देश में हर समय कार्य कर रहे हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जजों में से 65-70 % पुराने जजों के बच्चे या नजदीकी रिश्तेदार ही होते हैं!
यह भारत है. यहां नेता जनता की भलाई के नाम पर जनता को ही लूटते रहते हैं और साहब जनता को न्याय दिलाने के नाम पर ऐशोआराम की ज़िन्दगी व्यतीत करने में लगे रहते हैं. बाकी रही *जनता तो वो नेताओं की 'जनता की भलाई ' के लिए किये गये कामों और साहब से मिले 'न्याय' के सपने देखते देखते अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा*
*करती रहती है ।*
वकीलों ने क्लाइंट को *use & through* समझ सारी प्रॉपर्टी फ़ीस में बिकबा देते हैं?? सरकार अपने मेहमान मवालियों, आतंकियों पर करोड़ों रुपये खर्च कर अपनी रोटी सेंकते आ रहे हैं?? जजस् के आवास में करोड़ों में भारतीय मुद्रा जलती है?? उसे कोई जानकारी नहीं है..?? कैसे न्यायालय में न्याय या बन्दर बाँट करते हैं..??
अत्यंत शीघ्र सुधारों की आवश्यकता है ?? राष्ट्रपति महोदया और सरकार को ब्रिटिश न्याय व्यबस्था को आमूल चूल परिवर्तन करना होगा, जिससे त्वरित, कम खर्चे पर न्याय मिले?
भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की नियुक्ति की तरह परीक्षाओं से, इनकी सेवाएं और नियुक्ति जरूरी है !
इसमें सोशल मिडिया और न्याय की पारदर्शिता को ध्यान में रख कर शामिल कर दिया गया है??

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