स्मरण शक्ति बढ़ाने और तनाव को दूर रखने में उपयोगी है ब्राह्मी।
स्मरण शक्ति बढ़ाने और तनाव को दूर रखने में उपयोगी है ब्राह्मी।
ब्राह्मी एक औषधीय जड़ी बूटी है जो स्मृति बढ़ाने और तनाव दूर करने वाली आयुर्वेदिक औषधियों में से एक है। ब्राह्मी एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें छोटे सफेद फूल और अंडाकार पत्ते होते हैं और यह आयुर्वेद में कैप्सूल और गोलियों के रूप में बाजार में आसानी से उपलब्ध है। यह दलदली भूमि में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है।
ब्राह्मी को पूरे देश में नियंत्रित तापमान और आर्द्रता में छोटे पैमाने पर उगाया जा सकता है।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि ब्राह्मी का वैज्ञानिक नाम बैकोपा मोनिएरी है जो स्क्रोफुलरिएसी कुल की बारहमासी मिलने वाली जड़ी बूटी है। यह पौधा प्राचीन काल से ही विभिन्न हर्बल औषधियों और घरेलू उपचारों में उपयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक साहित्य में ब्राह्मी को कड़वा और कसैला स्वाद वाली जादुई जड़ी बूटी माना है जो वात और कफ दोषों को संतुलित करती है। ब्राह्मी में स्मरण शक्ति और बुद्धि को बढ़ाने की क्षमता पाई जाती है। आचार्य चरक ने ब्राह्मी को प्रजास्थापना में वर्गीकृत किया है, जो गर्भावस्था को स्थिर करने वाली जड़ी-बूटी है तथा यह शक्ति और प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
डॉ. कांटिया ने बताया कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्राह्मी का संबंध ज्ञान के देवता ब्रह्मा से है। ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस जड़ी-बूटी को आशीर्वाद दिया हैं कि जो लोग इसका सेवन सही मात्रा और अवधि में करेंगे उनकी याददाश्त और स्मरण शक्ति में वृद्धि होगी है।
प्राचीन ऋषि-मुनियों ने हज़ारों सालों से ब्राह्मी का उपयोग मन को तरोताज़ा रखने और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए किया। यह एक एडाप्टोजेन है जो शरीर और दिमाग को अपरिचित या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के अनुकूल होने में सहायता करती है। इसके अलावा अन्य कई प्रकार से भी लाभदायक होती है जैसे मस्तिष्क के लिए ब्राह्मी फायदेमंद होती हैं क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त में कमी आना स्वाभाविक है अतः ब्राह्मी को सप्लीमेंट के रूप में उपयोग करके उम्र से संबंधित मस्तिष्क की गिरावट को कुछ हद तक रोका जा सकता है। इसलिए ब्राह्मी को सभी उम्र और लिंग के लोगों के लिए एक मस्तिष्क टॉनिक के रूप में जाना जाता है। ब्राह्मी संज्ञानात्मक और व्यवहारिक कार्यों में सुधार करती है और मस्तिष्क को विभिन्न व्याधियों से बचाती है। ब्राह्मी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाने, विभिन्न बीमारियों को रोकने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले मुक्त कणों या विषाक्त पदार्थों से सुरक्षा करती है। यह गुर्दे में एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों को उत्तेजित करती है, इसलिए यह गुर्दे के कार्य को बेहतर बनाने और शरीर के विषाक्त पदार्थों को प्रभावी ढंग दूर करने में उपयोगी है। ब्राह्मी अल्जाइमर रोग के कारण होने वाली मस्तिष्क क्षति के प्रति प्रतिरोधी होती है। मस्तिष्क में सूजन चिंताजनक और जानलेवा हो सकती है अतः यह आंतरिक सूजन को कम करती है इसलिए ब्राह्मी के पौधों में उपस्थित सूजनरोधी यौगिक मस्तिष्क की सूजन से जुड़े एंजाइम और साइटोकाइन्स के स्राव को रोकने महत्वपूर्ण हैं। वैदिक युग से ही ब्राह्मी का उपयोग जोड़ों और श्वसन संबंधी बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। ब्राह्मी की चाय का एक कप पीने से श्वसन तंत्र में सूजन, दर्द और अन्य संबंधित बीमारियों से राहत मिलती है और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए ब्राह्मी तेल का बाहरी रूप से उपयोग किया जाता है। एडीएचडी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसकी विशेषता अति सक्रियता और ध्यान की कमी है। एडीएचडी से पीड़ित बच्चों और किशोरों में आवेगपूर्ण व्यवहार और बेचैनी सामान्य हैं जो अक्सर माता-पिता के लिए समस्या बनते हैं और उनके बच्चों के साथ उनके रिश्ते को प्रभावित करते हैं। ब्राह्मी मस्तिष्क पर शांत प्रभाव डालकर अति सक्रियता को कम करने में मदद करती है और बच्चों को अपनी ऊर्जा को किसी उत्पादक और सार्थक काम में लगाने में सक्षम बनाती है। शोध अध्ययनों से पता चला है कि एडीएचडी से पीड़ित व्यक्तियों में आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से ब्राह्मी का सेवन लाभदायक है। वर्तमान में शारीरिक व्यायाम की कमी, खराब आहार और तनाव के कारण अधिकांश लोगों को नींद ना आने की समस्या सामान्य है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। अतः सोने से पहले ब्राह्मी का सेवन करने से नींद अच्छी आती है और हाइपरएक्टिविटी और तनाव कम होने से अनिद्रा की समस्या से राहत मिलती हैं। ब्राह्मी के एडाप्टोजेनिक और एंग्जियोलिटिक गुणों के कारण, ब्राह्मी पाउडर शरीर में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को स्वाभाविक रूप से कम करती है, जिससे चिंता और तनाव कम होता है। ब्राह्मी का तेल सिर की मालिश के लिए लाभदायक होता है। यह एंडोथेलियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाने में सहायक होती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए रक्त वाहिकाओं के संकुचन और फैलाव को नियंत्रित करती है। यह शरीर को नाइट्रिक एसिड के उपयोग को बढ़ाने में भी सक्षम बनाती है जिससे रक्तचाप सामान्य रहता है। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो पित्त ऊर्जा को नियंत्रित करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। अतः आयुर्वेद के अनुसार, ब्राह्मी लिवर के कार्य को बढ़ावा देने और प्राकृतिक विषहरण में सहायक होती है। ब्राह्मी एक हर्बल सप्लीमेंट है जो मुख्य ऊर्जा या दोषों में असंतुलन पैदा किए बिना स्वाभाविक रूप से लीवर के कार्य को बढ़ावा देती है। यह दवाओं और मिलावट के कारण होने वाली विषाक्तता के प्रति अत्यधिक लाभदायक है। ब्राह्मी बालों के विकास के लिए एक बेहतरीन जड़ी बूटी है। यह बालों की जड़ों को मजबूत करती है, बालों को समय से पहले सफ़ेद होने से रोकती है और दोमुंहे बालों का इलाज करती है तथा रूसी को कम करती है। इसे रीठा, शिकाकाई और आंवला जैसी जड़ी-बूटियों या सरसों, नारियल या आंवला तेल जैसे वाहक तेलों के साथ मिलाकर घर पर हेयर मास्क तैयार किया जा सकता है। चूँकि ब्राह्मी की प्रकृति ठंडी होती है इसलिए गर्मियों में यह बहुत लाभदायक होती है। यदि दो चम्मच ब्राह्मी पाउडर और दो चमच आंवला पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाकर इसे स्कैल्प और बालों पर अच्छी तरह लगाकर 20-30 मिनट के लिए छोड़ दिया जाय तो बाल मजबूत, चमकीले और घने होंगे। ब्राह्मी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो त्वचा की विभिन्न समस्याओं के उपचार में बहुत उपयोगी है। ब्राह्मी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-एजिंग गुण होते हैं जो कोशिका पुनर्जनन और कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। यह त्वचा की रंजकता, खिंचाव के निशान और सेल्युलाइटिस को हल्का करने के लिए विभिन्न हर्बल औषधियों में एक सक्रिय घटक है। ब्राह्मी के सूजनरोधी और रक्त शोधक गुण त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे कि मुंहासे, सोरायसिस, एक्जिमा और अन्य त्वचा संबंधी एलर्जी को कम करने में सहायक हैं। आयुर्वेद ने इस जड़ी-बूटी को इसके एंटी-एजिंग गुणों के कारण “आयुष” में शामिल किया है।
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