नीमकाथाना में जीवित गोवंश की अनदेखी मरने के बाद भी दुर्दशा
*नीमकाथाना में जीवित गोवंश की अनदेखी मरने के बाद भी दुर्दशा
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नीमकाथाना में जीवित गोवंश की तो दुर्दशा हो ही रही है ।लेकिन मरने के बाद भी दुर्दशा हो रही है। कुछ गौशाला के धर्म के ठेकेदारों द्वारा व नगर परिषद नीम का थाना और जिम्मेवार जन प्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण ऐसा हो रहा है।
हिंदुस्तान के लाखों करोड़ों लोगों की सनातन और हिंदू आस्था के केंद्र गौ माता के मृत शव को खुले में फेंका जाता है। जहां नगर परिषद पूरे शहर का कचरा डालता है ।वहां मृत गोवंश को फेंक कर इति की जा रही है,जिसे बाद में कुत्ते नौंचते रहते हैं ।
नीमकाथाना के समाचार पत्रों और मीडिया में भी अनेकों बार इस तरह की घटना प्रकाशित हो चुकी। लेकिन जिम्मेवार और धर्म के ठेकेदारों का इस तरह विमुख होना, सनातन धर्म की धज्जियां उड़ा रहा है ।जबकि गोवंश के नाम से लाखों रुपए की हर वर्ष कागजों में महज खाना पूर्ति की जाती है।
गौ रक्षक दल नीमकाथाना ने यह मुद्दा उठाया,, लेकिन प्रशासन व जनप्रतिनिधि तथा गौशालाओं के पदाधिकारी इस पर कोई संज्ञान नहीं लेते हैं।
अतः है नीमकाथाना में जीवित गोवंश की अनदेखी के कारण भूख-प्यास से विचलित गोवंश अखाद्यय पदार्थ खाकर असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं ❓ इसलिए मृत गोवंश को विधि विधान से मिट्टी में नमक के साथ दफनाया जाए तो गोवंश की दुर्दशा भी नहीं होगी। और जीवाणु कीटाणु भी नहीं पनपैंगे तथा सनातन धर्म की रक्षा होगी।।
इलेक्ट्रिक न्यूज़ रिपोर्टर शिंभू सिंह शेखावत सीकर, नीमकाथाना
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