बराला अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को नई ज़िंदगी, थ्रोम्बोलाइसिस से मिली सफलता

 बराला अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को नई ज़िंदगी, थ्रोम्बोलाइसिस से मिली सफलता


चौमूँ – बाराला हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने एक बार फिर साबित किया है कि समय पर सही ईलाज मिलने से ब्रेन स्ट्रोक के मरीज की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।

62 वर्षीय कैलाश कुमावत, जो कि लंबे समय से स्मोकिंग की आदत और डायबिटीज़ (T2 DM) से पीड़ित थे, अचानक सुबह 9 बजे लेफ्ट साइड कमजोरी, चेहरे में टेढ़ापन (फेशियल डिविएशन) और बोलने में तकलीफ़ (डिसआर्थ्रिया) की समस्या से ग्रसित हो गए। परिजन तुरंत मरीज को सुबह 11:30 बजे बराला हॉस्पिटल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे।

आपातकालीन चिकित्सक और न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा तुरंत मरीज का मूल्यांकन किया गया। NIHSS स्कोर 6 पाया गया, जो स्ट्रोक की गंभीरता दर्शाता है। बिना देरी किए MRI ब्रेन कराया गया, जिसमें लेफ्ट MCA इंफार्क्ट पाया गया।

विशेषज्ञ न्यूरो फिज़िशियन डॉ. अभिषेक भार्गव और विभागाध्यक्ष न्यूरो फिज़िशियन डॉ. रोहित कुमावत की देखरेख में मरीज को तुरंत थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन (Alteplase) दिया गया। उल्लेखनीय है कि यह इलाज स्ट्रोक के शुरुआती 4.5 घंटे की गोल्डन विंडो में ही असरदार रहता है।

ईलाज शुरू होने के केवल 1 घंटे बाद ही मरीज की स्थिति में चमत्कारिक सुधार देखा गया। उनका NIHSS स्कोर 6 से घटकर 2 हो गया, चेहरे का टेढ़ापन पूरी तरह ठीक हो गया और वे सामान्य रूप से पहले की तरह बोलने लगे।

डॉ. अभिषेक भार्गव ने बताया कि – “ब्रेन स्ट्रोक में समय ही सबसे बड़ी कुंजी है। अगर मरीज को लक्षण शुरू होने के 4.5 घंटे के भीतर अस्पताल लाया जाए तो थ्रोम्बोलाइसिस द्वारा उसे स्थायी विकलांगता या मौत से बचाया जा सकता है।”

डॉ. रोहित कुमावत ने कहा – “बराला हॉस्पिटल की न्यूरो टीम स्ट्रोक के हर मरीज को आधुनिक तकनीक से समय पर ईलाज देने के लिए तैयार रहती है। यह केस इस बात का उदाहरण है कि स्ट्रोक मरीज को तुरंत अस्पताल लाने से ज़िंदगी बचाई जा सकती है।”

मरीज के परिजनों ने बराला हॉस्पिटल और उसकी अनुभवी न्यूरो टीम का आभार जताया, जिन्होंने सही समय पर उपचार देकर मरीज को नई ज़िंदगी दी।

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