टूटी हड्डियों को जोड़ने में उपयोगी है हड़जोड़।

 टूटी हड्डियों को जोड़ने में उपयोगी है हड़जोड़।




हड़जोड़ या बोनसेटर भारत में आमतौर पर उपयोग किया जाने वाला एक प्राचीन औषधीय पौधा है। यह भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफ्रीका के गर्म और शुष्क क्षेत्रों का मूल निवासी पादप है इसका पौधा 1.5 मीटर तक ऊँचा होता है, जिसकी शाखाएँ चतुर्भुजाकार व्यवस्था में विभाजित होती हैं। पत्तियाँ चमकीले हरे रंग की, नुकीले किनारों वाली होती है इसमें उपस्थित विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट जैसे फिनोल, टैनिन, कैरोटीनॉयड और विटामिन सी के कारण यह टूट भाग यानि फ्रैक्चर हीलिंग गुणों के लिए प्रसिद्ध है। आयुर्वेद के अनुसार, गाय के घी या एक कप दूध के साथ हड़जोड़ का रस पीने से इसके संधानीय (खंडित या टूटे भागों को जोड़ने वाले) गुण के कारण फ्रैक्चर ठीक करने में उपयोगी है इसके अलावा यह शरीर के मेटाबॉलिज्म में सुधार करके वजन नियंत्रित करने में सहायक है। यह शरीर में वसा और लिपिड के संचय को भी रोकता है और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करता है जिससे मोटापे को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। हड़जोड़ कसैले और घाव भरने वाले गुणों के कारण यह घाव भरने में उपयोगी है। इसके दर्द निवारक और सूजन-रोधी गुणों के कारण यह दर्द और सूजन कम करने में भी उपयोगी है।

 श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि भारतीय चिकित्सा की प्राचीन पद्धति के विद्वानों के ग्रंथों के अनुसार, हड़जोड़ हड्डियों के फ्रैक्चर को ठीक करने में शक्तिशाली गुण दर्शाता है, साथ ही यह पेट फूलना, अपच, वजन कम होना , मिर्गी, यौन इच्छा में कमी और बवासीर आदि के लिए एक उत्कृष्ट प्राकृतिक उपचारात्मक औषधि है। इसका वैज्ञानिक नाम सिसस क्वाड्रैंगुलरिस है जो वाईटेसी कुल का सदस्य है। हडजोड़ सूजन-रोधी गुणों के कारण बवासीर के उपचार में उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार बवासीर रक्तस्रावी या बादी वाली होती है जो वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होती है। असंतुलित दोषों के कारण कब्ज होता है जिसके कारण गुदा क्षेत्र में गांठ जैसी संरचनाएँ बन जाती हैं यदि इसका समय रहते इलाज न किया जाए तो इससे रक्तस्राव हो सकता है जो नुकसानदायक होता है यदि हड़जोड़ के पत्तों के तरल अवशेष को शहद के साथ मिलाकर गर्म दूध या घी के साथ लेने पर बवासीर के दौरान होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव और सूजन को कम करने में मदद मिलती है यह गुदा और मलाशय के निचले हिस्से की नसों में दर्द और सूजन को कम करता है इसके अलावा बवासीर से जुड़े रक्तस्राव और बवासीर के ऊतकों को बढ़ने को कम करता है। हड़जोड़ में वात को संतुलित करने वाला गुण होते है जो कब्ज को रोकने में उपयोगी है और इसका कसैला गुण रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है जिससे बवासीर में लाभ होता है। मोटापा एक ऐसी स्थिति है जो खराब पाचन के कारण होती है जिसमें शरीर में वसा के रूप में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं। इससे कफ दोष बढ़ जाता है। हड़जोड़ अपने गर्म और कफ को संतुलित करने वाले गुणों के कारण इस स्थिति को नियंत्रित करने में उपयोगी होता है। यह पाचक अग्नि को बेहतर बनाने में सहायक है जिससे पाचन में सुधार होता है और विषाक्त पदार्थों के संचय को रोकता है, जिससे मोटापे को नियंत्रित किया जाता है। 

आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा वायुमार्ग में सूजन की एक स्थिति है जिससे व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में, व्यक्ति को बार-बार सांस फूलने और सीने से घरघराहट की आवाज आने का अनुभव होता है। अस्थमा में मुख्य दोष वात और कफ हैं। कफ दोष के बढ़ने से फेफड़ों में वात दोष असंतुलित हो जाता है। इससे वायुमार्ग में रुकावट पैदा होती है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और इस स्थिति को अस्थमा कहते हैं। हड़जोड कफ को संतुलित करने वाले और गर्म गुणों के कारण संचित कफ को पिघलाने और वायुमार्ग में रुकावट को दूर करने में उपयोगी होता है। इससे सांस लेने में आसानी होती है और अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है। हडजोड़ के शक्तिशाली अर्क में उपस्थित शामक गुण कारण इसका नियमित, संतुलित सेवन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क की गतिविधियों और मिर्गी को नियंत्रित करने में सहायक होता है इसमें कोलेजन निर्माण के लिए आवश्यक विटामिन सी की उपस्थिति के कारण यह शरीर मजबूत बनाने में सहायक होता है। इसका उपयोग बॉडी बिल्डिंग सप्लीमेंट्स के रूप में किया जाता है और यह हड्डियों और जोड़ों को मज़बूत बनाने में कारगर है। इसके सेवन से कोर्टिसोल या तनाव हार्मोन का स्तर भी कम होता है और मांसपेशियों की वृद्धि होती है। हड़जोड़ में शक्ति प्रदाता गुण के कारण यह शरीर निर्माण में सहायक होता है। यह मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है जिससे शरीर का स्वस्थ रहता है। हडजोड़ में रक्त शर्करा कम करने वाले गुणों के कारण यह मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होता है यह अग्नाशय की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को रोकता है और इंसुलिन के स्राव को बढ़ाता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर कम होता है। हडजोड़ में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं जो उपवास के दौरान ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता  है। मधुमेह, वात-कफ दोष के असंतुलन और खराब पाचन के कारण होता है। खराब पाचन के कारण अग्नाशय की कोशिकाओं में अनुचित पाचन के कारण शरीर में जमा विषाक्त अवशेष जमा हो जाते है और इंसुलिन का कार्य बाधित हो जाता है इसमें पाचन में सुधार करने और विषाक्त पदार्थों के निर्माण को रोकने का गुण है जिससे इसके वात-कफ संतुलन और पाचन गुणों के कारण मधुमेह नियंत्रित रहता है। हड़जोड़ पाचन और गर्म गुणों के कारण उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है तथा पाचन अग्नि को बढ़ाता है अतः यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने मे उपयोगी है। गठिया एक ऐसा विकार है जिसमें व्यक्ति को जोड़ों में लालिमा, सूजन और सबसे महत्वपूर्ण दर्द का अनुभव होता है। ये सभी लक्षण वात दोष के असंतुलन के कारण होते हैं जो रक्त धातु को असंतुलित करता है। हड़जोड़ गठिया के लक्षणों को कम करता है और वात संतुलन के दर्द वाले हिस्से को गर्मी प्रदान करता है। हडजोड़  में मलेरिया-रोधी गुण पाए जाते हैं क्योंकि इसमें उपस्थित कुछ घटक परजीवी-रोधी गुणों के कारण मलेरिया परजीवी की वृद्धि को रोकते हैं जिससे मलेरिया ठीक होता है। आयुर्वेद के अनुसार मासिक धर्म वात दोष द्वारा नियंत्रित होता है। हड़जोड़ वात-नियंत्रक और उष्ण गुणों के कारण मासिक धर्म को नियंत्रित करता है। यह मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है इसमें एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुणों के कारण यह रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों को नियंत्रित करता है। हडजोड़ एंटीकॉन्वल्सेंट गुणों के कारण यह दौरे कम करने में उपयोगी है। इसमें फ्लेवोनोइड्स नामक घटक होते हैं जो मांसपेशियों के संकुचन को नियंत्रित करने और ऐंठन को रोकने मे सहायक हैं। यह वात तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है और अस्थायी भ्रम, बेहोशी या हाथों-पैरों में झटके जैसे लक्षण पैदा करता हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस रोग में भी हदजोड़ लाभदायक है यह हड्डियों के निर्माण और उनके कार्य में उपयोगी है। इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है जो हड्डियों के निर्माण में सहायक कोशिकाओं व कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है और हड्डियों के चयापचय में सहायक अन्य विटामिन के प्रभाव को भी बढ़ाता है। इसलिए इसे टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में मदद मिलती है। अस्थि-मज्जाक्षय के नाम से जाना जाने वाला ऑस्टियोपोरोसिस, वात दोष के असंतुलन से हड्डियों के ऊतक क्षय के कारण होता है अतः यह हड्डियों के क्षय को रोकने में उपयोगी है यह वात संतुलन और तैलीय गुणों के कारण हड्डियों को पर्याप्त मात्रा में चिकनाई प्रदान करता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस नियंत्रित रहता है।

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