नीमकाथाना में श्रीजी सेवा समिति का तृतीय वार्षिकोत्सव गौ रक्षा की संकल्प भावना के साथ संपन्न

 *नीमकाथाना में श्रीजी सेवा समिति का तृतीय वार्षिकोत्सव गौ रक्षा की संकल्प भावना के साथ संपन्न



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गौ सेवा सामाजिक समर्पण और सेवा के आदर्श मूल्यों को समर्पित श्रीजी सेवा समिति नीमकाथाना ने रविवार को नीम का थाना स्थित आशीर्वाद गार्डन में अपना तृतीय वार्षिकोत्सव उत्साह ,श्रद्धा और संजीवता के साथ मनाया। 

कार्यक्रम में के मुख्य अतिथि धूधाड़ी धाम के महंत अवध बिहारी दास उपस्थित रहे  ।। वीरांगना कविता सामोता वेटरनरी डॉक्टर कुलदीप निठारवाल , डॉक्टर विनोद सैनी , वरिष्ठ पत्रकार श्री हरिकिशन राव , नितिन शर्मा चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित अनेक प्रबुद्ध गणमान्य विशिष्ट अतिथि मंचासीन विराजमान रहे। 

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वल से हुई। जिसके पश्चात समिति ने सभी अतिथियों का दुपट्टा ओढा कर और मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर लगभग 100 गो रकक्षों को भी मंच पर सम्मानित किया गया । जिन्होंने सर्व देवमयी गौ माता विश्व कल्याण कारिणी गौ माता की निस्वार्थ ,,तन मन धन से सेवा की है ।जो कि अपने आप में अनुपम और  अतुलनीय है। 

मुख्य अतिथि महंत अवध बिहारी दास धूधाड़ी धाम ने कहा गौ सेवा ही ईश्वर सेवा का स्वरूप है ।। महंत अवध बिहारी दास जी ने समिति की कार्य प्रणाली को अनु करणीय बताया , तथा सभी सनातनी युवाओं को जीवन का मुख्य उद्देश्य ,,,, गौ रक्षा करना ही कहा।।।

इस अवसर पर वीरांगना कविता सामोता ने अपने उद्बोधन में कहा कि ,गौ सेवा सम्मान नहीं ,,कर्तव्य है ।। वीरांगना सामोता ने उदद्धबोधन मै कहा कि श्रीजी सेवा समिति ने समाज में गौ सेवा की मिसाल पेश की है ,जो की प्रेरणादाई है। 

वरिष्ठ पत्रकार हरिकिशन राव महोदय ने अपने उद्बोधन में अपने प्रखर शब्दों में ~~ कहा *हमारी पूश्तें संस्कारी थी ,पर नस्लें अब संस्कार विहीन हो रही है* पत्रकार महोदय ने जो कहा "वह शाश्वत सत्य ही कहा।।

**जहां तक मेरा मानना है वर्तमान युवा पीढ़ी सिर्फ मोबाइल के दुष्परिणामों से सभी समाज ऑनलाइन की होड़ में नव जवान पथ भ्रष्ट हो रहे हैं क्योंकि यदि  गहराई में जाएं तो प्रथम तो हमारे भारत के पूर्व  स्व.अब्दुल कलाम राष्ट्रपति जी ने कहा था कि : *एक दिन सोशल मीडिया सभी समाजों के लिए घातक सिद्ध* होगा ☑️ और वर्षों से हो रहा है । और राष्ट्रपति जी के   मुखारविंद से कही गई ,बात आज सत्य हो रही है। दूसरा कारण हमारी भारतीय संस्कृति जो विश्व में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। हमारी भारतीय संस्कृति को समाप्त करने की कूटनीति  अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान जब लार्ड  मेंकालै शिक्षा पद्धति को लागू किया गया ,उसी दिन से भारतीय संस्कृति पर आघात आरंभ हो गया था । भारत के अनेक बुद्धिजीवियों ने सनातनी शिक्षा पद्धति का पूर जोर हवाला अर्थात जिक्र किया था।लेकिन उसे नकार कर को जो हजारों वर्ष पूर्व से गुरुकुल शिक्षा प्रणाली थी,,, उसमें गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण की जाती थी  ।। उसकी जगह लॉर्ड मैकाले शिक्षा पद्धति  ने ले ली ।।।। उसी का धीरे-धीरे हमारी संस्कृति जो आदिकाल से चली आ रही है । उसकी उपेक्षा कर नवीन शिक्षा प्रणाली लॉर्ड में कालें शिक्षा पद्धति को अधिकतर माता-पिता ने अपनाया ओर अपने बच्चों  के उज्जवल भविष्य के सपने को साकार तो कर लिया ,लेकिन बहुत से ऐसे पश्चिमी सभ्यता की संस्कृति से ग्रसित  उच्च समाज से संबंध रखने वाले ,,,वर्तमान में अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में शेष जीवन यापन के लिए छोड़ रखा है। 

यह है हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली को छोड़कर ,,,अन्य आंग्ल ,पश्चिमी देशों की शिक्षा हमारी शिक्षा के स्तर के अनुपम मायने में कहीं भी स्थान नहीं रखती ।। हमारी संस्कृति आदिकाल से चली आ रही है ।और  *भारत की संस्कृति का कोई सानी नहीं है* ।।

वंदे मातरम,वंदे मातरम,वंदे मातरम ।

इलेक्ट्रिक न्यूज़ रिपोर्टर शिंभू सिंह शेखावत सीकर नीम का थाना

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