उनके घर भी दिया जले” अभियान के अंतर्गत समरसता का संदेश — बच्चों ने सीखे सही हाथ धोने के गुण
“उनके घर भी दिया जले” अभियान के अंतर्गत समरसता का संदेश — बच्चों ने सीखे सही हाथ धोने के गुण
उदयपुर संवाददाता जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल।
छोटी दिवाली पर सामाजिक समरसता, समानुभूति और स्वच्छता का अद्भुत संगम देखने को मिला जब “उनके घर भी दिया जले” अभियान के अंतर्गत जनजाति क्षेत्र में आलोक संस्थान का द्वितीय चरण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अभियान का नेतृत्व डॉ. प्रदीप कुमावत ने किया, जो पिछले 37 वर्षों से निरंतर इस मानवीय पहल को आगे बढ़ा रहे हैं।
कार्यक्रम का आयोजन राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, काडाफला (ग्राम पंचायत सिंगठवाड़ा) में हुआ, जिसमें आलोक इंटरैक्ट क्लब, आलोक समाज सेवा प्रकोष्ठ और अखिल भारतीय नव वर्ष समारोह समिति की संयुक्त भूमिका रही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रदीप कुमावत ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में रोटरी क्लब के पूर्व प्रांतपाल निर्मल सिंगवी उपस्थित रहे। विद्यालय के प्राचार्य देवीलाल मीणा और जगदीश मुन्ना ने अतिथियों का स्वागत किया।
जनजाति बालकों संग भोजन कर दिया समरसता का संदेश
कार्यक्रम के दौरान आलोक इंटरैक्ट क्लब के विद्यार्थियों ने जनजाति बालकों के साथ बैठकर भोजन किया और अपने हाथों से मिठाई खिलाई। इस भावनात्मक दृश्य ने प्रेम, भाईचारे और समानुभूति का सशक्त संदेश दिया।
बच्चों को दीपावली पर कंबल, खाद्य सामग्री, टिफिन बॉक्स, मिठाई और दीपावली उपहार वितरित किए गए। इस दौरान बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और उल्लास की झिलमिल रोशनी ने दीपावली की सच्ची भावना को प्रकट किया।
मुख्य अतिथि निर्मल सिंगवी ने कहा —
> “यह अभियान केवल उपहार देने का नहीं, बल्कि देने की संस्कृति और संवेदना के बीज बोने का माध्यम है। डॉ. प्रदीप कुमावत और आलोक संस्थान ने सेवा को एक जीवनमूल्य के रूप में स्थापित किया है।”
हास्य और सीख से भरपूर “हैंड वॉश अभियान” — बच्चों ने सीखे सही हाथ धोने के गुण
कार्यक्रम के दूसरे चरण में रोटरी इंटरनेशनल वॉश अभियान के अंतर्गत एक रोचक और हास्यपूर्ण शैली में “हैंड वॉश डेमो” प्रस्तुत किया गया।
डॉ. प्रदीप कुमावत ने बच्चों को 5 स्टेप हैंडवॉश तकनीक सिखाई और मज़ेदार उदाहरणों के साथ समझाया कि
> “हम अपने ही हाथों से बीमारियों को शरीर में बुला लेते हैं — लेकिन अगर हाथ ठीक से धोना सीख लें, तो बीमारी दरवाज़े पर ही रुक जाती है।
उन्होंने बच्चों को स्वयं डेमोस्ट्रेशन देकर हाथ धोने का सही तरीका बताया। ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्र के बच्चों ने उत्साह से इसमें भाग लिया और जोरदार तालियों से अपनी खुशी व्यक्त की।
सेवा, संवेदना और सीख का संगम
इस अवसर पर जयपाल सिंह रावत, मनमोहन भटनागर, राजेश भारती, भुवनेश आमेटा सहित कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
दिनभर शहर और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों ने साथ समय बिताया, संवाद किया, खेल खेले और अनुभव साझा किए। लौटकर शहर के विद्यार्थियों ने बताया कि —
> “जनजाति क्षेत्र के बच्चे कठिन परिस्थितियों में भी अनुशासन और स्वच्छता बनाए रखते हैं। वे कई किलोमीटर पैदल चलकर विद्यालय पहुँचते हैं और फिर भी उनके चेहरे पर सच्ची मुस्कान रहती है।”
डॉ. प्रदीप कुमावत का संदेश
> “दीपावली का असली अर्थ सिर्फ अपने घर में दीप जलाना नहीं है, बल्कि उस घर तक रोशनी पहुँचाना है जहाँ अभी अंधेरा है। सेवा का हर कार्य, समाज की एक नई दीपशिखाहै।
‘उनके घर भी दिया जले’ अभियान ने एक बार फिर यह साबित किया कि संवेदना की रोशनी सबसे स्थायी और सबसे उज्जवल होती है।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें