जयपुर महाराजा सवाई जयसिंह ने हीं बोया था , राजपूत और सिख एकता का बीज*
*जयपुर महाराजा सवाई जयसिंह ने हीं बोया था , राजपूत और सिख एकता का बीज*
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आमेर और जयपुर के कच्छावा वंशज महाराज , महाराजाओं का सिख धर्म के गुरुओं से पुराना संपर्क रहा है । मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम और सवाई सिंह द्वितीय ने सिख गुरुओं से धार्मिक शिक्षा ग्रहण की थी।
सवाई जयसिंह ने गुरु गोविंद सिंह जी के श्री मुख से कथा का श्रवण किया था। उस मुगल काल के कठिन दौर में हिंदुओं के अलावा लड़ाकू कोंम राजपूत के और सिख संबंध ने एक सुनहरे अध्याय को उजागर किया था।
गुरु गोविंद सिंह महाराज ने 1706 ईस्वी में पंजाब के बठिंडा स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो में हिंदुस्तान के 48 वीर योद्धाओं और संतों को धार्मिक शिक्षा देने के लिए बुलाया था । महाराजा ने सवाई जयसिंह द्वितीय को श्री गुरु ग्रंथ साहिब की कथा का श्रवण करवाने के साथ ही ब्रह्म ज्ञान की भी शिक्षा दी थी।
गोविंद सिंह की राजपूताना यात्रा पर शोध कर रहे गुरदासपुर निवासी गुरुवेंद्र सिंह के मुताबिक सवाई जयसिंह ने गुरु ग्रंथ साहब की अमृतमयी गुरबाणी की नियमित रूप से सुना करते थे । गौरतलब ,,पुरातन ग्रंथों का हवाला देते हुए गुरुवेंद्र सिंह ने बताया कि में कथा का समापन होने पर सवाई जय सिंह सहित सभी और वीर शिष्यों को अच्छा/गुढ़,ब्रह्म ज्ञान की अनुभूति हुई ।तीन दिन तक गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड जाप में भी सवाई जय सिंह ने भाग लिया था।
आमेर लौटने से पहले सवाई जयसिंह ने 11 सो रुपए गुरु चरणों में भेंट कर आशीर्वाद लिया था । ब्रह्म विद्या की बख्शीश लेने के बाद सवाई जयसिंह ने गुरु गोविंद सिंह महाराज को आमेर किले में आने का निमंत्रण भी दिया था। जनवरी 1708 में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज अपने सिख सिपाहियों के साथ आमेर किले पर आए और सवाई जय सिंह को दर्शन देकर निहाल किया था । गुरु गोविंद सिंह महाराज ने ब्रिगेडियर भवानी सिंह के ससुराल सिरमौर के महाराजा को एक तलवार भेंट की थी। सिटी पैलेस में तलवार की पूजा होती है और होती थी ।
रिपोर्टर:: वॉइस ऑफ़ मीडिया:: राजस्थान जितेंद्र शिंभू सिंह शेखावत

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