सीकर संभाग में नीमकाथाना जिला मुख्यालय की बहाली को लेकर अभिभाषक संघ सीकर और नीम का थाना द्वारा कार्य स्थगन**

 *सीकर संभाग में नीमकाथाना जिला मुख्यालय की बहाली को लेकर  अभिभाषक संघ सीकर और नीम का थाना द्वारा कार्य स्थगन**



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राजस्थान सरकार जयपुर द्वारा विगत कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए जिलों को और संभागों को हटाया गया था । इसके पीछे जो भी राजनीतिक कारण रहे हो , लेकिन नीम का थाना जिला मुख्यालय की मांग को लेकर यहां  के जनप्रतिनिधि एवं नगर के प्रबुद्ध नागरिकों ने नीमकाथाना से जयपुर तक पैदल मार्च भी निकाला था, नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग तो विगत 55 वर्षों से हो रही थी । उसे भी अनदेखा किया गया ,,, दो-दो जांच कमेटीयां भी बनाई । लेकिन वें भी संकुचित राजनीति की शिकार रही । और एक नीम का थाना के नागरिक ओमप्रकाश साईं तो जिले की मांग करते-करते  स्वर्गवासी ही हो गए  । उसके भी बहुत वर्षों बाद परिणाम स्वरूप गहलोत सरकार ने नीम का थाना को जिला मुख्यालय और सीकर  को संभाग बनाया था । और लगभग  18 महीने पश्चात वर्तमान भाजपा सरकार ने इन्हें निरस्त कर दिया। 

जिसका खामियाजा आम आदमी से लेकर अधिकारी वर्ग भी उठाते हैं । आम आदमी तो छोटे-छोटे कार्यों के लिए 75 किलोमीटर सीकर जाना पड़ता ही है और अधिकारी वर्गों को भी सरकारी कार्यों के लिए सीकर जाना पड़ता है । नीमकाथाना पंचायत समिति के विकास अधिकारी एवं उनके गाड़ी के ड्राइवर सीकर से मीटिंग से लौटते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गए और दोनों अपनी जान गवा बैठे। 

नीमकाथाना के जनप्रतिनिधि किसी भी पार्टी से हैं उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी ।वें जिला बनना ही नहीं चाहते थे , सिर्फ एक हौआ खड़ा करना था । जो विरोध प्रदर्शन और लगभग 39 दिन तक कलेक्टर कार्यालय के सामने नीम का थाना में धरना भी दिया गया था । लेकिन वह भी 39वें दिन रात्रि को एकाएक बंद हो गया ,और वहां से टेंट और सामियानें रातों-रात  समेट लिए गए। 

लेकिन नीम का थाना के बार संगठन अध्यक्ष, सत्यनारायण जी यादव ने बताया, कि जिला मुख्यालय हटाने के बाद होने को तो विरोध , प्रदर्शन ,धरने इत्यादि हुए । लेकिन वह सिर्फ दिखास और छपास  तक ही सीमित रहे। 

*नीमकाथाना बार एसोसिएशन के समस्त अधिवक्ताओं का जज्बा और एकता एक मिसाल है जो की हर महीने की 1 तारीख और 16 तारीख को पेन डाउन हड़ताल रखते हैं* । जिससे कि इनकी आवाज जयपुर में बैठी वर्तमान सरकार तक पहुंचे। नीमकाथाना बार एसोसिएशन और सीकर अभिभाषक संगठन अभी भी प्रयासरत है ,कि नीमकाथाना जिला मुख्यालय रहे और सीकर संभाग बने । लेकिन विडंबना यह है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। 

वर्तमान में तो हालत यह है , कि आमजन को कोई सरकारी कार्य के लिए कार्यालय में जाते हैं , तो उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिलता ,और यदि मिलता है तो उन्हें सीकर का हवाला देकर सीकर भेज दिया जाता है । बेचारा आमजन 75 किलोमीटर दूर सौ रुपए जाने के किराया भरकर जाता है ,लेकिन वहां से भी उसे नकारात्मक ही जवाब मिलता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए । यह न्याय संगत नहीं है ,यह गरीबों के साथ अन्याय है, लगभग 18 माह नीम का थाना जिलाधीश रहे तो आमजन को जागरूकता भी  थी ,और उनकी समस्याओं का जिलाधीश महोदय ,, उन्हें अपने पास बैठाकर उनकी पूरी समस्या सुनते और हर संभव उसका निस्तारण भी किया जाता था ।। कुछ एक मामलों को छोड़कर । जब से नीमकाथाना जिला मुख्यालय हटा है ,,, उस दिन से ही नीम का थाना का प्रशासन तो एक दम स्वतंत्र हो गया है । आमजन अपनी समस्या लेकर जाता है , उससे आवेदन ले लिया जाता है ,और वह आवेदन ठंडे बस्ते के अंदर डाल दिया जाता है । होने को तो राज्य सरकार के आदेश अनुसार हर माह के दूसरे गुरुवार को खंड स्तरीय जनसुनवाई भी आयोजित होती है । लेकिन उसमें आवेदन तो बहुत ही सशक्त और सरल स्वभाव  से लिए जाते हैं , लेकिन उसका निस्तारण नहीं होता ?

अत: है  जयपुर में बैठी वर्तमान सरकार  भले ही आप संपूर्ण राजस्थान में  जनसुनवाईयां करें, लेकिन नीम का थाना की जनसुनवाईयों को तो बंद ही कर देना चाहिए । क्योंकि उसका कोई औचित्य ही नहीं है ।।

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