पूर्व छात्रों के सहयोग से महकेगी आरटीयू: नक्षत्र वाटिका में पौधारोपण; पर्यावरण संरक्षण और विश्वविद्यालय सौंदर्यीकरण का दिया संदेश*
*पूर्व छात्रों के सहयोग से महकेगी आरटीयू: नक्षत्र वाटिका में पौधारोपण; पर्यावरण संरक्षण और विश्वविद्यालय सौंदर्यीकरण का दिया संदेश*
*नक्षत्र वाटिका से आरटीयू परिसर को हरित और सुंदर बनाने का संदेश: प्रोफेसर बी. पी. सारस्वत, कुलगुरु*
कोटा। (29 सितंबर) राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय परिसर को हरा-भरा और सुंदर बनाने की दिशा में पूर्व छात्रों ने महत्वपूर्ण पहल की है। आज, रविवार (29 सितंबर) को 1986-1990 बैच के पूर्व छात्रों द्वारा विकसित की गई नक्षत्र वाटिका (आरटीयू गेस्ट हाउस के पीछे) में पौधारोपण का कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से पूर्व छात्रों ने न केवल विश्वविद्यालय के सौंदर्यीकरण में योगदान दिया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी सशक्त संदेश दिया।
इस अवसर पर कुलगुरु प्रोफेसर बी. पी. सारस्वत ने पूर्व छात्रों द्वारा दिए गए इस अभूतपूर्व सहयोग की हृदय से सराहना की। उन्होंने कहा कि पौधारोपण केवल परिसर की हरियाली बढ़ाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और वायु शुद्धिकरण का भी प्रभावी उपाय है। कुलगुरु ने पूर्व छात्रों को विश्वविद्यालय के विकास और सौंदर्यीकरण में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित करते हुए ‘नक्षत्र वाटिका’ के महत्व पर विशेष ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि यह अनूठी वाटिका परिसर की प्राकृतिक सुंदरता को निखारने के साथ-साथ छात्रों और शिक्षकों को भारतीय ज्योतिष, आयुर्वेद और प्रकृति से गहरे रूप में जुड़ने का अवसर भी प्रदान करेगी।
इस वाटिका को वैज्ञानिक और ज्योतिषीय सिद्धांतों के आधार पर विकसित किया गया है, जिसमें एक विशेष क्रम का पालन किया गया है: केंद्र में: सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाला पौधा आँकड़ा (Aakda/Calotropis gigantea) लगाया गया है। पहला वृत्त: इसके चारों ओर नवग्रहों के अनुसार 9 ग्रह के 9 पौधे स्थापित किए गए हैं। दूसरा वृत्त: इसमें बारह राशियों के अनुसार 12 राशि के 12 पौधे लगाए गए हैं। तीसरा वृत्त: सबसे बाहरी वृत्त में सत्ताईस नक्षत्रों के अनुसार 27 नक्षत्र के 27 पौधे रोपित किए गए हैं।
पूर्व छात्रों का यह योगदान संस्थान के प्रति उनके गहरे लगाव और सामाजिक दायित्व को दर्शाता है। इस पुनीत कार्य में 1986-1990 ('F' बैच) के पूर्व छात्र जितेंद्र शर्मा (बिल्डिंग कंसलटेंट), सुनील शर्मा (XeN, AVPL कोटा), अचल श्रीधर (एक्सेंचर), आनंद चतुर्वेदी (प्रोफ़ेसर, RTU), सुनील गर्ग (एसई (SE), कोटा थर्मल), संजय जैन (सीनियर एक्जीक्यूटिव, दुबई), विषंबर सहाय (एसई (O&M), झालावाड़ (AVP)), विनोद अग्रवाल (एसई (SE), कोटा थर्मल), धर्मेन्द्र माहेश्वरी (एसई (SE), कोटा थर्मल) सम्मिलित हुए, जिन्होंने अपनी वर्तमान व्यस्तताओं के बावजूद विश्वविद्यालय के प्रति अपना स्नेह और दायित्व प्रदर्शित किया। पूर्व छात्रों के इस प्रेरणादायक योगदान से विश्वविद्यालय परिसर में सामुदायिक भावना मजबूत हुई है, और यह भविष्य में अन्य छात्रों को भी पर्यावरण और संस्थान के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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