जयगढ़ के टांके में दफन दफन खरबों अशर्फियों का वह अकूत खजाना आखिर कहां चला गया*
*जयगढ़ के टांके में दफन दफन खरबों अशर्फियों का वह अकूत खजाना आखिर कहां चला गया*
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आपातकाल के दौरान राजमाता गायत्री देवी और ब्रिगेडियर भवानी सिंह को तिहाड़ जेल में गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई थी , तलाश जयपुर के जयगढ़ के खजाने की चर्चा देश-विदेश में लंबे समय तक होती रही ।
50 साल पहले आपातकाल के बाद गायत्री देवी और ब्रिगेडियर भवानी सिंह को तिहाड़ जेल में बंद कर जयगढ़ के अकूत खजाने की तलाश शुरू की गई ।
सरकार ने टांके में गुप्त तरीके से खुदाई करवाई थी उसे समय का बड़ा काफिला दिल्ली मार्ग की ओर निकला था । जिसे देखते हुए मार्ग को बंद रखा गया अफवाह फैली थी ।कि करीब 65 ट्रैकों में खजाना ले जाया गया है।
खजाना मिला या नहीं मिला यह आज तक रहस्य बना हुआ है ।
प्रोफेसर राजेंद्र सिंह खंगारोत ने जयगढ़ अजेय दुर्ग ट्रेजर हंट में लिखा कि .
11 फरवरी 1975 को आयकर कानून 1961 के तहत केंद्रीय आयकर आयुक्त वैष्णव , केंद्रीय गुप्तचर विभाग के उपनिदेशक आहूजा के अलावा के एस मिन्हास और आर ए. सिंह की टीम ने छापा मारा।
सरकार व राज्य परिवार के मध्य समझौता हुआ था कि सरकार का 75% में राज राज परिवार का 25% हिस्सेदारी रहेगी।
केंद्र सरकार को मिले बीजको के अनुसार सवाई जयसिंह के समय राव कृपाराम के वंशजों ने 28 फरवरी 1975 को खजाने का बीजक सरकार को सौपां था । बीजक में उल्लेख है कि जयगढ़ में शिवपाल दरवाजे से 118 गज चलने पर पानी के टांके की तरफ मुड़ने पर टैंक से 19 गज दूर 2 गज 10 बिलाल खुदाई करने पर 1 गज का चौकोर पत्थर मिलेगा,, उस पत्थर को उठाने पर एक सुरंग में रखें उलटे घड़े एक में रखी चाबी से दरवाजा खोलें । वहां तीन कमरों में रखी तिजोरी में एक अरब 18 करोड़ 83735 अशर्फियां रखी है।
बाला बख्श खवास के बीजक में वर्ष 1784 की 128 करोड रुपए की दौलत है। दौलत का वजन 344 86 शेर 6 तोला 6 मास है।
यह धन , सन 1608 में उदयपुर के बृजभूषण पुरुषोत्तम दास ने सवाई जयसिंह को दी थी वर्ष 1727 में जय सिंह ने इस दौलत को जयगढ़ में रखवाया था ।। अन्य बीजको में 20 करोड़ सोने के सिक्के सिपहसालार उदय सिंह व हर सहाय मीणा के समक्ष वर्ष 1719 में रखना बताया गया । अन्य बीजक में 18 करोड़ 11 लाख 13 हजार 735 की मुद्राएं एवं एक करोड़ 5 लाख 531 रुपए के जवाहरात बताए गए हैं ।। इतना कुछ तो कच्छावा वंश के राजपूतों से केंद्र सरकार ने ले लिया और अब उन राजपूतों का क्या हाल है , उसका कोई मतलब नहीं।। माननीय प्रधानमंत्री यशस्वी श्रीमान नरेंद्र मोदी जी का नारा है कि ,,,न हीं खाऊंगा ना खाने दूंगा ,,, तो यह राशि भी इन्हीं गांधी नेहरू परिवार के पास ही है । यह भी इनसे सारी निकालो ।यह इटली तक जमा है । इतिहासकार राघवेंद्र सिंह मनोहर ने लिखा है खजाने से जितना माल निकाला जाता, उतना वापस रखना पड़ता था। ऐसे नियम थे , जब सवाई जय सिंह जी का राज था । और उनसे पहले भी यही था ।।
रिपोर्टर :: वॉइस ऑफ़ मीडिया :: राजस्थान
जितेंद्र शिंभू सिंह शेखावत

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