साइबर ठगी के शिकार हुए पूर्व आईजी डी के पांडा जब पूर्व आईजी नहीं सुरक्षित तो आम जनता कैसे सुरक्षित
साइबर ठगी के शिकार हुए पूर्व आईजी डी के पांडा
जब पूर्व आईजी नहीं सुरक्षित
तो आम जनता कैसे सुरक्षित
सुभाष तिवारी लखनऊ
इलाहाबाद
,*राधा बनी नाक मे नथुनी पहने ज़ब पूर्व आईजी IG नहीं सुरक्षित तो आम जनता साइबर ठगी का शिकार होंगे ही,,,,,,,,,साइबर ठगों का एक बार फिर निशाना बने पूर्व आईजी IPS डीके पांडा: 4.32 लाख रुपए की नई ठगी, सुर्खियों में रहा उनका 'राधा' अवतार*
*उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक (आईजी) डीके पांडा, जिनका वास्तविक नाम देवेंद्र किशोर पांडा है, एक बार फिर साइबर धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। इस बार ठगों ने उनके बैंक खाते से 4.32 लाख रुपए की बड़ी राशि उड़ा ली है। यह घटना साइबर अपराधों के बढ़ते दायरे और इनकी चपेट में आने वाले लोगों की विविधता को रेखांकित करती है, जिसमें उच्च-रैंकिंग के पूर्व अधिकारी भी शामिल हैं*
,. *वर्तमान मामला और जांच: डीके पांडा के अनुसार, उनके खाते से अज्ञात साइबर ठगों ने*,,,,,*धोखाधड़ी कर 4 लाख 32 हजार रुपए ट्रांसफर कर लिए हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, उन्होंने तत्काल घूमनगंज पुलिस स्टेशन में एक विस्तृत रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और साइबर ठगों की पहचान कर उन्हें पकड़ने के लिए जांच शुरू कर दी है। यह देखना होगा कि इस बार पुलिस इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई कर पाती है*।
*बार-बार निशाना बनने का पैटर्न: यह पहली बार नहीं है जब डीके पांडा को साइबर धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है घटना प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र मे हो चुका है यह चौंकाने वाला है कि वह लगातार इन अपराधियों के निशाने पर रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में भी, उन्होंने एक और बड़े साइबर ठगी के मामले में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्हें कथित तौर पर 381 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। यह लगातार दूसरी घटना पूर्व अधिकारी की डिजिटल सुरक्षा पर सवाल उठाती है और उनकी व्यक्तिगत जानकारी की संवेदनशीलता को उजागर करती है। 381 करोड़ की पिछली ठगी की भयावहता के सामने 4.32 लाख रुपए की यह राशि भले ही कम लगे, लेकिन यह उनकी निरंतर भेद्यता को दर्शाती है*
*IPS डीके पांडा: एक असाधारण आईपीएस अधिकारी का जीवन: डीके पांडा 1971 बैच के एक प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी थे। मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले, उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस में अपनी सेवा दी। हालांकि, उनके पेशेवर करियर से ज्यादा, वे अपने निजी जीवन के एक असाधारण मोड़ के कारण देशव्यापीसुर्खियोंमेंआए* *राधा'अवतारऔर *सार्वजनिक चर्चा, IPS डीके पांडा उस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से और यहां तक कि ड्यूटी के दौरान भी भगवान कृष्ण की 'दूसरी राधा' होने का दावा करना शुरू कर दिया। वे पूरी तरह से सोलह श्रृंगार, जिसमें महिलाओं के वस्त्र, गहने और मेकअप शामिल थे, उसमें दिखाई देते थे। इस असाधारण परिवर्तन ने न केवल पुलिस महकमे में बल्कि पूरे समाज में सदमे की लहर पैदा कर दी थी। उनकी यह सार्वजनिक घोषणा कि वे भगवान कृष्ण की प्रेमिका राधा के अवतार हैं या उनसे दिव्य रूप से जुड़े हैं, ने उन्हें मीडिया की सुर्खियों में ला दिया और जमकर बहस छिड़ गई थी*।
*पद से इस्तीफा और उसके बाद का जीवन: अपने इस आध्यात्मिक और सार्वजनिक परिवर्तन के चलते, IPS डीके पांडा ने साल 2005 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्हें वास्तविक रूप से 2007 में सेवानिवृत्त होना था, लेकिन उन्होंने अपनी निर्धारित सेवानिवृत्ति से दो साल पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली थी। उनका यह निर्णय उनके असाधारण आध्यात्मिक दावों और एक आईपीएस अधिकारी के रूप में उनकी भूमिका के बीच संतुलन बनाने की चुनौतियों को दर्शाता है*
*वर्तमान पहचान: कृष्णानंद: 'राधा' के रूप में अपनी पिछली पहचान को त्यागने के बाद, IPS डीके पांडा ने अब एक नया आध्यात्मिक नाम अपनाया है - 'कृष्णानंद'। वह अभी भी भगवान कृष्ण की भक्ति में गहरे लीन रहते हैं। वर्तमान में, वह अपने घर से ही पूजा-पाठ करते हैं और एक शांत, भक्तिमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं*
*यह घटना एक बार फिर साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती और समाज के हर वर्ग को इससे बचाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, विशेषकर उन लोगों को जो किसी न किसी कारण से सार्वजनिक रूप से पहचान रखते हैं। पुलिस इस मामले में कितनी सफलता प्राप्त करती है, यह देखना बाकी है*



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