राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में नेंत्रदान जागरूकता शिविर का आयोजन*
*राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में नेंत्रदान जागरूकता शिविर का आयोजन*
**नेंत्रदान के लिए आमजन को प्रोत्साहित और शिक्षित करने की आवश्यकता : प्रो.एसके सिंह, कुलगुरु*
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कोटा, 27 अगस्त, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के अंतर्गत आई बैंक सोसाइटी आफ राजस्थान कोटा चैप्टर के संयुक्त तत्वाधान में नैत्रदान जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। आरटीयू के सह जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ नें बताया कि कुलगुरु प्रो.एसके सिंह नें शिविर का उद्घाटन किया। कुलगुरु प्रो.एसके सिंह नें कहा कि व्यक्ति के जीवन में दृष्टि का अपना स्थान एवं महत्व है। आंखें ना सिर्फ हमें रोशनी देती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिदगी में उजाला भी भर सकती हैं। इसलिए हम सभी दुसरो के लिए उजाला बनने का कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा नेत्रदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। नेत्रदान करने के लिए आज आमजन को प्रोत्साहित और शिक्षित करने की आवश्यकता हैं, ताकि उनके जीवनकाल के बाद भी स्थायी प्रभाव पड़े और ज़रूरतमंद लोगों को दृष्टि का उपहार मिले। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा उन सभी के लिए आशा की एक किरण है जिनकी जिंदगी वीरान हो चुकी है। आज आप जो करते हैं, वह कल किसी के जीवन को अंधकार से प्रकाश में बदल सकता है। यह सिर्फ़ अपने अंगदान करने के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसी विरासत छोड़ने के बारे में है जो आपके जाने के बाद भी लंबे समय तक अन्य की स्मृति में बनी रहेगी।
नेत्र बैंक सोसायटी कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. केके कंजोलिया नें कहा कि समुचे देश में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक आई डोनेशन पखवाड़ा मनाया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य नेत्रदान की भ्रांतियां को दूर करना है एवं कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन के बारे में जनमानस के बीच नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। विश्व भर में सबसे अधिक नेत्रदान (कॉर्निया डोनेशन) श्रीलंका में किए जाते हैं। समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ाकर भारत नेत्रदान के क्षेत्र में एक सम्मानजनक मुकाम पर पहुंच सकता है। यदि सभी मृत व्यक्तियों द्वारा नेत्रदान किया जाए तो देश में कोई भी कॉर्निया में खराबी के कारण हुई अंधता से ग्रसित नहीं होगा। नेत्रदान के क्षेत्र में सबसे प्रमुख अवरोध समाज में जागरूकता की कमी है। आंखों का दान करना धर्म के विरुद्ध नहीं है।
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