त्वचा रोगों और रक्त शुद्धीकरण में उपयोगी है शीशम

 त्वचा रोगों और रक्त शुद्धीकरण में उपयोगी है शीशम


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भारत औषधीय पौधों का खजाना है यहां अनेक महत्वपूर्ण पादप जातियां औषधीय रुप में उपयोग की जाती हैं। उनमें से शीशम का वृक्ष भी एक प्रमुख औषधीय पादप है जिसे भारतीय शीशम भी कहा जाता है। इसके अनेक औषधीय उपयोग आयुर्वेदसी में ज्ञात हैं। इसका पारंपरिक रूप से त्वचा रोगों, पाचन संबंधी समस्याओं और सूजन के इलाज के लिए आदि के लिए उपयोग किया जाता है और यह एनीमिया, मूत्र संबंधी विकारों और सूजाक जैसी बीमारियों के इलाज में भी उपयोगी है। शीशम के पेड़ की पत्तियों, छाल और यहाँ तक कि लकड़ी का भी विभिन्न औषधीय रूपों में उपयोग किया जाता है।

श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम डलबर्जिया सीसू है जो फेबेसी कुल का सदस्य है। इसको अनेक नामो से जाना जाता है। जैसे हिंदी में शीशम, सीसम, शीसो शीसव, अंग्रेजी में साऊथ इण्डियन रोजवुड, ब्लैक वुड, रोजवुड, शीशम, संस्कृत में श्शांप, पिप्पला, युगपत्तेिका, पिच्छिला, श्यामा, कृष्णसारा, उर्दू में शीशम आदि।

 डॉ. कांटिया ने बताया कि शीशम हमारे लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इसका उपयोग से अनेक बीमारियों के उपचार में लाभ पहुंचने हेतु किया जाता है। शीशम के जड़, तना, पतियों, बीज आदि सभी का औषधीय महत्व है। शीशम के पत्तों का उपयोग शरीर की जलन ठीक करने में किया जाता है। पेट की जलन का इलाज शीशम के पत्तों से करते हैं इसके लिए 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस पीने से पेट की जलन की बीमारी ठीक होती है इसी प्रकार आंखों की बीमारी जैसे आंखों में होने वाली जलन में शीशम का उपयोग फायदेमंद होता है। शीशम के पत्तों के रस में शहद मिलाकर 1-2 बूंदें आंखों में डालने से आंखों के रोगों में आराम मिलता है। किसी भी तरह का बुखार हो, सभी में शीशम का प्रयोग लाभदायक होता है। शीशम का रस 20 ग्राम, पानी 320 मिली तथा दूध 160 मिली लेंकर दूध में पकाएं। जब दूध थोड़ा रह जाए तो दिन में 3 बार पीने से बुखार ठीक होता है। एनीमिया को ठीक करने के लिए भी 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस लेंकर इसे सुबह - शाम लेने से एनीमिया में भी लाभ मिलता है। मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में भी शीशम उपयोगी फायदेमंद होता है। 20-40 मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाकर इसे दिन में 3 बार पीने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में लाभ मिलता है इसके अलावा 10-20 मिली शीशम के पत्तों का काढ़ा वसामेह में लाभ पहुंचता है। महिलाओं के प्रमेह रोग (गोनोरिया) या ल्यूकोरिया के लिए शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर प्रातःकाल सेवन करने से प्रमेह रोग भी ठीक होता है। दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग करते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ इन तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं तथा 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिलाकर इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से दस्त पर रुक जाते है। हैजा के इलाज के लिए भी शीशम उपयोगी होती है। इसके लिए 5 ग्राम शीशम के पत्तों के रस में 1 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम मरिच तथा 500 मिग्रा इलायची मिलाकर पीसकर 500 मिग्रा की गोली बना लेते है फिर 2-2 गोली सुबह और शाम लेने से हैजा ठीक होता है। शीशम से सायटिका का इलाज भी किया जाता हैं। शीशम की 10 किलो छाल का मोटा चूरा बनाकर 25 लीटर जल में उबालें। आठवां भाग शेष रहने पर इसे ठंडा करके कपड़े से छानकर इसको फिर चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा कर लेते है अब इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिली की मात्रा में लेकर घी और दूध में पकाकर इसे 21 दिन तक दिन में 3 बार लेने से सियाटिका रोग में विशेष लाभ मिलता है। चर्म रोग में भी शीशम का इस्तेमाल किया जाता है इसके लिए शीशम का तेल चर्म रोगों पर लगाने से लाभ मिलता है तथा इससे खुजली भी ठीक होती है। शीशम के पत्तों के लुआब को तिल के तेल में मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा की बीमारियों ठीक होती है। जैसे 20-40 मिली शीशम पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पीने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं। कुष्ठ रोग में शीशम का प्रयोग किया जाता है। शीशम के 10 ग्राम रस को 500 मिली पानी में उबालते है जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें। फिर काढ़ा की 20 मिली मात्रा में लेकर शहद मिलाकर 40 दिन सुबह और शाम पीने से कोढ़ या कुष्ठ रोग में बहुत लाभ मिलता है। शीशम टीबी की बीमारी में भी फायदेमंद होता है शीशम रक्त संचार को सही रखने में भी अच्छा रहता है। 5 मिली शीशम के पत्ते के रस में 10 ग्राम चीनी तथा 100 मिली दही मिलाकर सेवन करने से रक्त संचार या ब्लड शर्कुलेशन ठीक रहता है रक्त विकार को ठीक करने के लिए शीशम के 3-6 ग्राम सूखे चूर्ण का शरबत बनाकर पीने से रक्त विकार का ठीक होता है। शीशम के 1 किग्रा बुरादे को 3 लीटर पानी में भिगोकर उबालें। जब आधा रह जाये तो छानकर 750 ग्राम बूरा डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत रक्त को साफ करने में उपयोगी होता है।

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