घुटनों के दर्द में रामबाण औषधि है बबूल।
घुटनों के दर्द में रामबाण औषधि है बबूल।
बाबुल जिसे स्थानीय भाषा में देशी कीकर भी कहा जाता है. यह एक कांटेदार पेड़ होता है जो 7 से 15 मीटर ऊंचा और 1.3 मीटर व्यास तक बढ़ सकता है इसके बारे में सभी जानते हैं
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जितेंद्र कांटिया ने बताया कि बबूल के विभिन्न भाग जैसे छाल, गोंद, पत्तियां, फल व बीज आदि औषधीय कार्यों में उपयोग किए जाते है। बबूल विभिन्न पोषक तत्वों का भंडार है इसमें आयरन, मैंगनीज, जिंक, कैल्सियम, मैग्नीशियम आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते है।
डॉ कांटिया ने बताया कि बबूल जिसका वैज्ञानिक नाम अकेसिया नायलोटिका है यह फेबेसी कुल का सदस्य है जिसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक, सुजनरोधी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीहिस्टमिनिक तथा एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं जो विभिन्न रोगों में लाभदायक होते हैं। बबूल की छाल का काढ़ा पेट दर्द, आंतों की सूजन आदि को कम करने में लाभदायक है। इसकी छाल व फली का चूर्ण मसूड़े में खून को कम कर दांतों को मजबूत व चमकीला बनाता है इसकी पत्तियों का पेस्ट घाव व त्वचा रोगों में लाभदायक है।
बबूल की फली का काढ़ा कफ, सर्दी और गले की खराश आदि को दूर करने में लाभदायक है बबूल की फली का चूर्ण महिलाओं में श्वेतप्रदव व मासिक धर्म में होने वाली समस्याओं को दूर करता है। बबूल का गोंद कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। इसकी फलियों का पाउडर हड्डियों को मजबूत बनाता है तथा घुटनों के दर्द को काम करता है। बबूल रक्त शर्करा को नियंत्रित कर मधुमेह रोग से बचाता है इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण यह मानसिक तनाव को कम करने में लाभदायक है। बबूल की तासीर ठंडी होती है अतः यह नकसीर जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद है। बबूल शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है। इसकी फलियों का चूर्ण यौन शक्ति बढ़ाने तथा कोलेस्ट्रोल को कम करने में फायदेमंद होता है ।
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