बीकानेर नै आ कविता जनतंत्र री आवाज रा विनोद शर्माजी नै सुणाई।
जियां ठाकुरजी री मरजी
मन में छाय रैयी खुदगरजी
जीणो हुंवतो जावै फरजी
सन चौबीस रो कराँ बधावो
हियै में थोड़ा डर डर जी
जग रो हाल हुवैला जियां
ठाकुरजी री मरजी।
डांफर चालै है डरावणी
कांप रैया सगळा थर थर जी
नूंवै वेरियंट रो आतंक छायो
आखै विश्व में बड़ा नगर जी ।
मुंगाई री मार भयानक
संकट छायो है घर-घर जी
गोटाळा री तोप्यां गरजै
रिस्वत री चालै चर-भर जी।
फेर भी स्वागत नूंवै बरस रौ
आस बढ़ी, घट रैयौ कहर जी
वैक्सीन सूं बच्या करोडों
धिन-धिन है थांनै बूस्टर जी।
नूंवो जोस है नूंवों होस है
नूंवीं पीढी रा रहबर जी
मैणत रा फळ मीठा हुवै
मिलै सफळता डगर-डगर जी।
भारत जेड़ौ भारत ई है
दुनिया भर में बड़ो जबर जी
जो भी करै सामनो, हारै
महाबली या सिंगबब्बर जी।
जग रौ हाल हुवैला जियां
ठाकुरजी री मरजी।।
राजाराम स्वर्णकार, शिव-निवास, बर्तन बाजार, बीकानेर नै आ कविता जनतंत्र री आवाज रा विनोद शर्माजी नै सुणाई।
कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार लारलै पांच दसकां सूं सिरजनरत्त है। आपरी हिंदी अर राजस्थानी मांय भांत-भांत री विधा में ग्यारह पोथ्यां रो प्रकाशन हुय चुक्यो है अर कई पुरस्कार आपनै मिल चुक्या है।
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