कृष्ण क्रीड़ाँगन परिसर उदयपुर में हजारों छात्रों ने किया प्राणायाम का अद्वितीय अभ्यास

 कृष्ण क्रीड़ाँगन परिसर उदयपुर में हजारों छात्रों ने किया प्राणायाम का अद्वितीय अभ्यास



उदयपुर संवाददाता जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति, आलोक संस्थान के तत्वावधान में आज आलोक संस्थान के कृष्ण क्रीड़ाँगन परिसर में प्राणशक्ति और स्वरविज्ञान पर आधारित एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लगभग 5000 (आभासी एवं लाइव)छात्रों ने एक साथ प्राणायाम के विविध प्रयोगों का अभ्यास कर इतिहास रच दिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. प्रदीप कुमावत (उदयपुर) ने प्राण ऊर्जा, स्वरविज्ञान और प्राचीन योग परंपरा के वैज्ञानिक आयामों पर विस्तृत प्रकाश डाला।

डॉ. कुमावत ने अपने प्रभावी संबोधन में बताया कि मानव जीवन की सफलता में स्वरविज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वरों का ज्ञान होना चाहिए क्योंकि भारतीय मनीषा मानती है कि किसी भी कार्य की सफलता के पीछे स्वरों की शुद्धता और संतुलन भी एक महत्वपूर्ण कारक है।

कार्यक्रम में डॉ. कुमावत ने प्राण ऊर्जा के रूपांतरण पर विशेष चर्चा करते हुए मूलबंध, उडियान बंद और जालंधर बंद के महत्व को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये तीनों ‘बंध’ प्राणशक्ति को ऊर्जा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में अत्यंत सहायक हैं।

छात्रों को नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए उन्होंने प्रेरित किया कि "सुबह उठकर अपनी दिनचर्या की शुरुआत प्राणायाम से करें और दिन के अंत में भी प्राणायाम से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त करें। ऐसा करने से जीवन में अद्भुत रूपांतरण संभव है।"

इस अवसर पर प्राचार्य शशांक टांक ने मुख्य अतिथि डॉ. कुमावत का स्वागत किया तथा कहा कि इतने विशाल स्तर पर प्राणायाम का यह आयोजन छात्रों के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत करेगा।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रतीक कुमावत द्वारा किया गया।

पूरे कार्यक्रम का सीधा प्रसारण  किया गया जिससे सर्वसमाज के लोग भी इस ज्ञानवर्धक सत्र का लाभ उठा सके।

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