पिछड़ों को गले लगाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम राम — सामाजिक समरसता के विश्व के महानायक : डॉ. कुमावत

 पिछड़ों को गले लगाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम राम — सामाजिक समरसता के विश्व के महानायक : डॉ. कुमावत


‘राम के पथ पर अलौकिक अनुभव कथा यात्रा’ का भव्य शुभारंभ


उदयपुरन संवाददाता जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। नगर के विभिन्न सामाजिक संगठनों श्रीरामकथा आयोजन समित, आलोक संस्थान तथा अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘श्रीराम के पथ पर एक अलौकिक अनुभव कथा यात्रा’ का भव्य शुभारंभ आज यहां आलोक संस्थान सेक्टर 11 के व्यास सभागार में हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं कथाव्यास डॉ. प्रदीप कुमावत ने लगभग तीन घंटे तक अपनी ओजस्वी वाणी से उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। उन्होंने भगवान श्रीराम के वनवास से आरंभ होने वाली इस कथा यात्रा को भौगोलिक, सांस्कृतिक और लोककथात्मक दृष्टि से जोड़ते हुए एक अद्वितीय अनुभव बना दिया।

डॉ. कुमावत ने बताया कि रामकथा केवल आस्था की कथा नहीं है, बल्कि यह समाज की समरसता और समानता का संदेश देने वाली युगान्तरकारी प्रेरणा है।

उन्होंने कहा कि  “जो लोग समाज में आदिवासियों और तथाकथित पिछड़ों के बीच भेदभाव फैलाने का प्रयास करते हैं, उन्हें रामकथा सुननी चाहिए। श्रीराम एक ओर देवताओं को प्रणाम करते हैं, गुरुजनों को दंडवत करते हैं, और दूसरी ओर निषादराज गुह जैसे वनवासी को हृदय से गले लगाते हैं। सामाजिक समरसता के विश्व के महानायक यदि कोई हैं, तो वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं।”

कथा के दौरान डॉ. कुमावत ने अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट और वाल्मीकि आश्रम से जुड़े भूगोल, इतिहास और लोककथाओं को एक सूत्र में पिरोया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार वाल्मीकि जी, जो हरित नाम से प्रसिद्ध थे, ब्रह्मा के आदेश से रामायण की रचना कर ‘करुणा की कथा’ को अमर कर गए; जबकि रामचरित मानस में तुलसीदास ने भक्तवत्सल राम के प्रेम और श्रद्धा का अनुपम चित्रण किया।

आलोक संस्थान के विद्यार्थियों ने कथा के विभिन्न प्रसंगों — निषादराज गुह, केवट प्रसंग, चित्रकूट की साधना, मंदाकिनी तट के दर्शन  को मंचित कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। डॉ. कुमावत ने इन प्रसंगों की व्याख्या भावनात्मक और जीवनपरक शैली में करते हुए कहा कि रामकथा का सार केवल भक्ति नहीं, बल्कि मानवीय करुणा, सेवा और समरसता है।

कथा के प्रारंभ में श्रीराम मंदिर, हिरणमगरी से भव्य पोथी यात्रा निकाली गई। वैदिक मंत्रोच्चारण और शंखध्वनि के मध्य श्रीरामचरितमानस की पोथी का पूजन कर यात्रा का शुभारंभ किया गया। कांता कुमावत ने पोथी को धारण किया और डॉ कुमावत ने अपने सर पर पोथी लेकर यात्रा की शुरुआत की। 

इस अवसर पर मनोज कुमावत , हर्षिता शर्मा, रतन पालीवाल और धीरज आमेटा ने पोथी यात्रा में अनुष्ठानपूर्वक पोथी यात्रा को प्रारंभ किया। ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वेशभूषा में आलोक इंटरैक्ट क्लब के छात्र-छात्राओं ने सनातन संस्कृति की झांकी प्रस्तुत करते हुए पोथी यात्रा को जीवंत बना दिया।

पोथी यात्रा श्रीराम मंदिर से प्रारंभ होकर आलोक संस्थान के व्यास सभागार तक पहुंची, जहां व्यास पूजन के साथ कथा आरंभ हुई। 

प्रारंभ में सर्वसमाज, आलोक संस्थान एवं अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति की ओर से शशांक टांक, निश्चय कुमावत और प्रतीक कुमावत ने अतिथियों का स्वागत किया।

इस अवसर पर संत इंद्रदेव दास,  संत नारायणदास वैष्णव, रवीन्द्र श्रीमाली, देवेन्द्र श्रीमाली, कमलेन्द्र सिंह पवार , किशन वाधवानी, नारायण सिंह सिसोदिया, शिवसिंह सोलंकी, कोमल सिंह चौहान, दिनेश मकवाना, ध्रुव कुमावत, भूपेन्द्र सिंह भाटी, यू एस चौहान, यशवंत पालीवाल सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

डॉ. कुमावत ने कथा के आरंभ में सभी उपस्थित जनों से संकल्प करवाया कि वे कथा के सार को अपने जीवन में उतारेंगे और समाज में समरसता का संदेश फैलाएँगे।

कथा प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से 11 बजे तक चलेगी, जबकि अंतिम दिन 15 ऑक्टोंबर विशेष सत्र में कथा का समापन दोपहर 12 बजे किया जाएगा।

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