1100 वर्ष प्राचीन महा लक्ष्मी मन्दिर में 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का पर्व*
*1100 वर्ष प्राचीन महा लक्ष्मी मन्दिर में 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का पर्व*
जयपुर शहर गुलाबी नगरी के चांदी की टकसाल स्थित सबसे प्राचीन महालक्ष्मी मन्दिर में 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत पूजा का आयोजन किया गया
मन्दिर के महंत श्री राजेन्द्र कुमार शर्मा ने इस महा लक्ष्मी व्रत का महत्व बताया
पौराणिक मान्यताओं के इस महालक्ष्मी व्रत की कथा सतयुग में स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र ने नारद जी से सुनी थी ओर इस व्रत को सपरिवार किया जिसके बाद उनके मान सम्मान यश धन की अपार वृद्धि हुई , द्वापर काल में व्यास जी ने हस्तिनापुर की महारानी गांधारी ओर कुन्ती को इस
महालक्ष्मी व्रत का धार्मिक महत्व बताया था तब से महारानी गांधारी ओर कुन्ती ने इस व्रत को करने का संकल्प लिया लगातार 16 दिनों तक इस व्रत को करने से सम्पूर्ण राज्य में सुख शांति एवं परिवार ,पुत्र पौत्र, धन, धान्य,की अपार वृद्धि हुई
लगातार 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत आज 31 अगस्त 2025 को प्रारंभ होकर 14 सितंबर 2025 को पूर्ण होगा. हिंदू मान्यता के अनुसार इस व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं और मां महालक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य का भंडार हमेशा भरा रहता है. मान्यता है कि इस व्रत से प्रसन्न होकर मां महालक्ष्मी पूरे साल भक्तो के घर में वास करती हैं.
यह महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की राधाष्टमी से शुरू होकर अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की कालष्टमी तक किया जाता है
इन 16 दिनों में माता को 16 तरह का भोग लगाया जाता है
16 सोलह श्रृंगार किया जाता है
16 षोडशोपचार से पूजा की जाती है
श्री सूक्त की 16 ऋचाओं से माता महालक्ष्मी का पाठ किया जाता है
इन 16 दिनों तक लगातार महालक्ष्मी का व्रत कर संध्या में पूजा करके व्रत खोला जाता है
महा लक्ष्मी माता को
16 कमल गट्टे
16 श्रृंगार
16 भोग
16 फूल मखाने की माला
16 दीपक
16 चूड़े
16 आसान
16 श्री सूक्त की पुस्तक
16 घी पात्र
16 कन्याओं को भोजन
ओर अपनी श्रद्धा अनुसार दान दक्षिणा अर्पण करनी चाहिए
*पंडित विक्रम कुमार शर्मा ठिकाना प्राचीन महा लक्ष्मी मन्दिर चांदी की टकसाल हवा महल बाजार जयपुर*
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