रुखंडी या कोट बटन का पौधा घाव भरने को रामबाण औषधि।

 रुखंडी या कोट बटन का पौधा घाव भरने को रामबाण औषधि।





औषधीय पौधा रुखड़ी जिसे आम तौर पर कोट बटन या कंसारी या घमारा के नाम से जाना जाता है यह एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है

श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कांटिया ने बताया कि रुखंडी जिसका वैज्ञानिक नाम ट्राइडेक्स प्रोकम्बेंस है यह एस्टेरेसी कुल का सदस्य है प्राचीन काल से विभिन्न समुदायों द्वारा इसका औषधि के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। यह एक बहुत ही उपयोगी पादप जाति है जिसमें एल्कलॉइड, स्टेरॉयड, कैरोटीनॉयड, फ्लेवोनोइड (कैटेचिन, सेंटॉरिन और बर्गेनिन), फैटी एसिड, फाइटोस्टेरॉल, टैनिन आदि के अलावा खनिजों जैसे द्वितीयक मेटाबोलाइट्स आदि पदार्थ पाए जाते है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, जीवाणुरोधी, सूजनरोधी, रोगाणुरोधी, वासोरिलैक्सेंट, एंटीलीशमैनियल, एंटीएनेमिक, इम्यूनोमॉडुलेटरी, हेपेटोप्रोटेक्टिव और मच्छरनाशक गुणों सहित अनेक औषधीय उपयोग पाए जाते है यह पादप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों मे मूल रूप से पाया जाता है

डॉ कांटिया ने बताया कि ट्राइडेक्स प्रोकम्बेंस मुख्य रूप से पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग होता है विशेषकर घाव भरने, दस्त और पेचिश के उपचार तथा कीट विकर्षक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसलिए प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के समय घायल सैनिकों के घावो का इलाज इसी पादप द्वारा किया गया था। इसमें ऐसे गुण पाए जाते हैं जो यकृत विकारों, बालों के विकास और मधुमेह उपचार के लिए सहायक हैं। इसकी पत्तियों का पारंपरिक रूप से रक्तस्राव को रोकने और घाव भरने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इस पौधे के अर्क का उपयोग मधुमेह और गैर-मधुमेह दोनों  प्रकार के जीवो में घाव भरने में किया जा सकता हैं। इसका उपयोग त्वचा रोगों, फोड़े और छालों के इलाज के लिए भी किया जाता है। इस पादप का उपयोग दस्त, पेचिश और अन्य जठरांत्र संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। कुछ पारंपरिक प्रथाओं में इसका उपयोग टॉन्सिलिटिस और मुंह के अल्सर के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते है। इसका उपयोग बालो के टॉनिक के रूप में और बालों को झड़ने से रोकने के लिए किया जाता है इसमें कीटनाशक और परजीवीनाशक गुण पाए जाते हैं। इसमें थक्कारोधी गुण होते हैं, जो रक्त के थक्कों को रोकने में उपयोगी हो सकते हैं। इसका उपयोग रक्तचाप कम करने वाली औषधि के रूप में भी किया जाता है। मधुमेह के उपचार में भी इसका उपयोग किया जाता हैं, इन सभी गुणों के अलावा इसमें डेटॉल से सौ गुणा अधिक प्रतिजैविक गुण पाए जाते है। जिसके कारण यह एंटीसेप्टिक औषधि के रूप में उपयोग होता हैं।

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