चाल बाज़ों की चाँदी,सच्चे फ़ाके धूल,पशु पालन विभाग के गुर्गे हावी

 चाल बाज़ों की चाँदी,सच्चे फ़ाके धूल,पशु पालन विभाग के गुर्गे हावी


-- कैलाश चंद्र कौशिक

जयपुर! यह जग जाहिर है कि कार्यालय में तयबद्ध तरीके निर्दोष को दोषी साबित करने में कारगर साबित होता है! पशु पालन विभाग के शासन सचिव सचिवालय तपेश पवार को पता ही नहीं, उप शासन सचिव एम. एन. जांगिड जो अनुचित तौर पे बंदूकों लाइसेंस बनाने के गृह विभाग में बना कर भृष्टाचारियों में लिस्टेड थे? हालांकि इन्होंने मामला रफा दफा करा दिया,इनका वरिष्ठ लिपिक भी इनका ही रिश्तेदार मलारनाडूंगर (स.मा.) का मदन मोहन वी.ए. पशु चिकित्सालय,बालेर के गाँव का है, डीलिंग चल रही थी कि प्रभारी को सही माना जाये,आगे सरकार जाने?? किसी को चाहे कैलाश कौशिक खिलाफ हो या अन्य कोई और, किसी के पेट पर छुरा नहीं भौंकना चाहिए! मात्र हिंदु-हिंदु, ब्राह्मण-ब्राह्मण उपदेश देने वाले हैं?? जो व्यक्ति चतुर्थ श्रेणि कर्मी से पशु चिकित्सा सहायक बना हो धूर्तों का सिरमौर है! ऐसे लोग रेकॉर्ड तक में हेर फेर करवा देते हैं और यही हुआ निर्दोष को दोषी बनाया और मनमानी से बनबाया गया! ऐसे लोग किन्ही भी  पंचायत समिति कार्यालयों के ग्राम सेवक भाई के माध्यम से, संपर्क साध लेते हैं! बड़ा भाई ऐ.सी.टी.ओ. से निलंबित होने पर भी सवाई माधोपुर रणथंभोर रोड पर अय्याशी का अड्डा चलाते पुलिस ने पकड़ा था! कोई भी अधिकारी, संस्थापन मिली भगत का काला कारनामा सुरा, सुंदरी, मीट, कारोबारियों से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती है! उच्च न्यायालय में पेशी सुनबाई प्रकरणों में अति विलंब पर भी न्याय नहीं मिलना, संदेहात्मक

प्रतीत होता है!

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