केन्द्रीय आम बजट में 4 करोड़ रोज़गार देने का ऐलान, परन्तु पिछली घोषणानुरूप 20 करोड़ रोज़गार ही नहीं दे पाये - सांसद डांगी

 केन्द्रीय आम बजट में 4 करोड़ रोज़गार देने का ऐलान, परन्तु पिछली घोषणानुरूप 20 करोड़ रोज़गार ही नहीं दे पाये - सांसद डांगी



आबूरोड (सिरोही)। सांसद नीरज डाँगी ने नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले आमबजट 2024 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, जिसके तहत 10 साल में 20. करोड़ नौकरियां देनी थी। परन्तु पिछले वादे पूरे नहीं किये गये और बजट में आगामी पांच साल में 4 करोड रोजगार का ऐलान किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पिछले कार्यकाल के दौरान की गई नौकरियों की घोषणा अनुसार इस बार भी आगामी पांच साल में 20 लाख नौकरियां देने की थौथी घोषणा की गई है। जबकि 30 लाख पद केन्द्र सरकार के संस्थानों में पिछले दो वर्षों से रिक्त पड़े हैं उन्हें भरने की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

सांसद नीरज डांगी ने कहा कि इस बजट में आन्ध्रप्रदेश व बिहार को बड़ी सौगात दी गई है। आन्धप्रदेश को 15 हजार करोड़ की वित्तीय मदद दी गई है। इसी प्रकार बिहार में विकास की गंगा बहाते हुए वहां पर 11 हजार 500 करोड़ की वित्तीय सहायता और 26 हजार करोड़ हाइवे के लिये, बोध गया एक्सप्रेसवे, जैन मंदिरों को काशी की तर्ज पर विकसित किये जाने सहित बिहार में बाढ से बचाव के लिये भी वित्तीय प्रावधान, 21 हजार 400 करोड के 2400 मेगावाट का नया बिजली संयंत्र लगाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार व आन्ध्रप्रदेश की तरह राजस्थान को भी वित्तीय सहायता दिये जाने की आवश्यकता थी परन्तु राजस्थान में भाजपा की सरकार होते हुए भी कोई वित्तीय सहायता या मदद नहीं दी गई है। राजस्थान में औद्योगिक विकास एवं रोजगार के अवसर बढ़ाये जाने थे, परन्तु केन्द्रीय बजट में इस तरह के कोई प्रावधान नहीं किये गये हैं जो अत्यन्त खेदजनक है। आमजन को इस बजट में राजस्थान में आद्यौगिक विकास, रोजगारोन्मुखी योजनाओं, किसान प्रोत्साहन योजनाएं, शैक्षणिक योजनाओं जैसी लाभकारी योजनाओं की घोषणा की उम्मीद थी।

नीरज डांगी ने कहा कि आयकर दाताओं को नये रिजीम में छोटा-सा बदलाव किया गया है, परन्तु पुराने रिजीम के तहत कर्मचारियों द्वारा जो बचत की जाती थी उस पर कोई बदलाव नहीं किया गया है जिससे वेतनभोगियों को भविष्य को सुरक्षित करने के लिये बचत की आदत को समाप्त कर दिया है। इससे वेतनभोगियों को अपनी भविष्य की योजनाओं को पूरा करने हेतु ऋण पर ही निर्भर रहना होगा बचत पर नहीं।

नीरज डांगी ने कहा कि इस बजट में महिलाओं, गरीब एवं मध्यम वर्ग की शिक्षा एवं रोजगार के लिये विशेष व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता थी परन्तु ऐसा नहीं किया गया है. जबकि शिक्षा में विद्यार्थियों की फीस कम किया जाना एवं ठेकेदारी प्रथा (संविदा) को समाप्त किया जाकर सरकारी, सरकारी उपक्रमों व गैर सरकारी संस्थानों के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाये जाने की व्यवस्था किया जाना आवश्यक था. इसके सकारात्मक प्रभाव से देश की अर्थव्यवस्था (जीडीपी) में सुधार हो सकता था।

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