चंदेसरा के भजन गायक विनोद शर्मा के संगीत प्रेम ने पार्श्व गायक मुकेश चंद्र माथुर के घर तक का सफर तय कराया
चंदेसरा के भजन गायक विनोद शर्मा के संगीत प्रेम ने पार्श्व गायक मुकेश चंद्र माथुर के घर तक का सफर तय कराया
स्वर कोकिला लता मंगेशकर के संगीत गुरु दयानंद देव गंधर्व से भी सीखे संगीत के गुर
भजन गायक एवं कथा वाचक विनोद शर्मा से संक्षिप्त साक्षात्कार
उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल (जनतंत्र की आवाज) 12 फरवरी। कथावाचक एवं भजन गायक विनोद शर्मा को संगीत की ऐसी लगन की एक छोटे से गांव से निकलकर मुंबई शहर के जाने-माने गायक मुकेश चंद्र माथुर, नितिन मुकेश, नील नितिन मुकेश के घर तक सुंदरकांड पाठ का आयोजन करवा दिया। बचपन से ही संगीत मे रुचि रहने के कारण आकाशवाणी पर लोकगीत का प्रसारण हुआ। अपने बचपन में लोकगीत अधिक गाने में रुचि के कारण भजन गायक विनोद शर्मा ने पहली बार पहली कक्षा में अध्ययन करते हुए आकाशवाणी केंद्र पर राजस्थानी लोकगीत गाया।
जिला उदयपुर मावली तहसील के मूलतः चंदेसरा के निवासी भजन गायक एवं कथा वाचक विनोद शर्मा जनतंत्र की आवाज के उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल को चर्चा करते हुए बताते हैं कि संगीत सीखना उनकी बचपन से ही रुचि रहा। जब उन्होंने आकाशवाणी पर पहली बार लोकगीत गाया तो उन्हें एक नई राह मिली। बाद में संगीत में आगे बढ़ते हुए संगीत में विशारद/अलंकार की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने संगीत विधा के गायन के क्षेत्र को अपना हमसफ़र चुना। संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए उन्होंने नवोदय विद्यालय एवं मॉडल स्वामी विवेकानंद स्कूल में सेवाएं दी। श्री राम कथा, भागवत कथा, शिव महापुराण कथा, नानी बाई का मायरा सुंदरकांड पाठ भजन संध्या में रमते हुए विगत 15 वर्षों से आध्यात्मिक क्षेत्र में सेवाएं जारी है। शर्मा अब तक 115 से अधिक कथाएं कर चुके हैं। राम कथा के वर्तमान युग में युग तुलसी की उपमा से अलंकृत संत श्री मुरारी बापू के समक्ष भी इन्हें श्री राम कथा करने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ। श्री नाथद्वारा के श्रीनाथजी की कृपा इन पर इतनी बरसी की कथा वाचन करते हुए इनका संपर्क सुप्रसिद्ध पार्श्वक गायक स्वर्गीय मुकेश चंद्र माथुर परिवार के नितिन मुकेश से हुआ। यहीं से यह सफर मुंबई उनके निवास पर सुंदरकांड पाठ के आयोजन तक खींच ले गया। इस आयोजन में उनके निवास पर अलका याग्निक, नील नितिन मुकेश, और राखी भी साक्षी रहे। अपने संगीत प्रेम को यूं ही कायम रखते हुए वर्तमान समय में आप उदयपुर और मुंबई में अपने संगीत के अनुभव को संगीत कक्षाओं के माध्यम से विद्यार्थियों में बांट रहे हैं। भजन एवं कथावाचक विनोद शर्मा ने उदयपुर में पानेरियों की मादडी एवं शहर के फतहसागर के पास स्थित अलकापुरी में संगीत कक्षाओं का सुव्यवस्थित संचालन आरंभ किया है। जहां आप हारमोनियम एवं शास्त्रीय संगीत का विशेष अध्ययन करवाते हैं। संगीत सीखने के क्षेत्र में इनका भाग्य इतना प्रबल रहा कि इन्होंने उदयपुर शहर के संगीत गुरु मथुरा प्रसाद स्वर्णकार जो की अंध विद्यालय के संस्थापक रहे उनसे भी गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए 3 साल तक संगीत की विधिवत शिक्षा ग्रहण की। फिर सौभाग्य प्राप्त हुआ स्वर् कोकिला लता मंगेशकर के संगीत गुरु उदयपुर निवासी दयानंद देव गंधर्व से तालीम लेने का। संगीत के विलक्षण प्रतिभा के धनी भजन गायक एवं कथावाचक विनोद विनोद शर्मा को प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज जी के गुरु भाई मेवाती घराने के कृष्ण कुमार देहलवी से भी संगीत शिक्षा प्राप्त करने का सानिध्य मिला। यहां इन्होंने उनके साथ रहकर 4 साल और संगीत की शिक्षा ग्रहण की। इस तरह संगीत के सफर को तय करते हुए विनोद शर्मा वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल में भी अपनी प्रतिभागिता निभा चुके हैं। सुप्रसिद्ध भजन गायक एवं कथावाचक विनोद शर्मा स्वभाव से मृदु भाषी सहज सरल और सेवाभावी व्यक्तित्व के धनी है।



टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें