तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आज से बदलती दुनिया के लिए कृषि पर पुनर्विचार मंथन के लिए जुटेंगे देशभर वैज्ञानिक शोधार्थी

 तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आज से 

बदलती दुनिया के लिए कृषि पर पुनर्विचार मंथन के लिए जुटेंगे देशभर वैज्ञानिक शोधार्थी



उदयपुर संवाददाता विवेक अग्रवाल। 'परिवर्तनकारी कृषि और सतत् विकासः बदलती दुनिया के लिए कृषि पर पुनर्विचार' विषयक त्रिदिवसीय 11 वीं राष्ट्रीय सेमिनार 5 से 7 मार्च तक आयोजित की जा रही है। सोसायटी फॉर कम्युनिटी, उदयपुर में मोबिलाईजेशन फॉर सस्टेनेबल डवलपमेंट, नई दिल्ली व महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संयुक्त सहयोग से आयोजित सेमिनार का उद्घाटन 5 मार्च, मंगलवार सुबह 10.30 बजे राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नवीन सभागार में होगा। संगोष्ठी में देश भर के लगभग 300 कृषि वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता और प्रगतिशील किसान भाग लेंगे।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. पी.एल. गौतम, चांसलर, आरपीसीएयू (डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सेन्ट्रल एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी) समस्तीपुर, बिहार तथा विशिष्ट अतिथि उदयपुर के सासंद अर्जुन लाल मीणा होंगे। इनके अलावा डॉ. बी.पी. शर्मा, ग्रुप चेयरमेन, पेसिफिक ग्रुप ऑफ एजुकेशन, उदयपुर और अध्यक्ष, यूनेस्को (एमजीआईईपी), श्री अतुल जैन, महासचिव, दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली, श्री एस.के. चौधरी, अध्यक्ष, शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, जयपुर व डॉ. जे.पी. शर्मा, पूर्व कुलपति, शेर ए कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू एवं अध्यक्ष, मोबिलाईजेशन होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर करेंगे।

सेमिनार में 5 तकनीकी सत्र और पोस्टर प्रस्तुतियों के 2 तकनीकी सत्र होंगे। प्रथम सत्र 'जलवायु परिवर्तन और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र खतरे, अवसर और समाधान व स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियां और जलवायु स्मार्ट कृषि विषय पर होगा जबकि द्वितीय सत्र 'खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए रणनीतियां स्वदेशी जर्मप्लाज्म और किसानों की किस्मों की भूमिका' विषय पर होगा। इसके अलावा सतत् संसाधन प्रबन्धन व अन्तिम सत्र 'सतत् विकास और नीली अर्थव्यवस्था के लिए पशुधन और डेयरी नवाचार और विपणन में नवाचार' विषय पर होगा।

पूर्व कुलपति एवं अध्यक्ष, मोबिलाईजेशन डॉ. जे.पी. शर्मा ने बताया कि सेमिनार का उद्देश्य नीति निर्माताओं, प्रशासकों, शोधकर्ताओं, प्रसार वैज्ञानिकों, कृषि व्यवसाय कम्पनियों, गैर सरकारी संगठनों, किसान संगठनों और कृषक समुदाय के कल्याण में शामिल अन्य सभी हितधारकों के अनुभवों को साझा करने और चर्चा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मंच तैयार करना है। सेमिनार की सिफारिशों से नीति निर्माताओं को कृषि स्थिरता बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करने में मदद मिलेगी।

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