कटारिया ने किया रैप्टर प्रदर्शनी का शुभारम्भ*
कटारिया ने किया रैप्टर प्रदर्शनी का शुभारम्भ*
उदयपुर, 21 जनवरी। सज्जनगढ़ महल में वन विभाग द्वारा विश्व प्रकृति निधि भारत के सहयोग से लगाई गई रैप्टर प्रदर्शनी का शुभारम्भ रविवार को असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने किया q। इस अवसर पर उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन एवं उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल,मुख्य वन संरक्षक आर.के.जैन आदि मौजूद रहे।
उप वन संरक्षक अरूण कुमार डी. एवं उप वन अजय चितौडा ने उन्हें प्रदर्शनी के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इसके उपरान्त उन्होने आग्मेंटेड रियलिटी के टी.वी. शो का अवलोकन किया एवं बच्चों के लिये काफी आकर्षक बताया। उन्होने के साथ सज्जनगढ़ महल व परिसर का निरीक्षण किया व परिसर में गार्डन आदि को मेंन्टेन करने के निर्देश दिये। परिसर में पर्यटकों हेतु पर्याप्त व सही टॉयलेट बनवाने के निर्देश दिये।
इसके उपरान्त सभी अतिथियों ने सज्जनगढ़ जैविक उद्यान का भ्रमण किया व निर्माणाधीन रेप्टाईल सेक्शन की प्रगति का जायजा लिया। मुख्य वन संरक्षक आर.के.जैन ने इस रेप्टाईल सेक्शन में विभिन्न प्रकार के सांपों को रखने एवं नक्शे पर भावी योजना की जानकारी दी। उप वन संरक्षक अरूण कुमार डी. ने बताया कि यह कार्य को आगामी तीन माह मे पूर्ण कर लिया जायेगा।
इस कार्यकम में समाजसेवी श्रीमती पिंकी मांडावत, सेवानिवृत मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर, क्षेत्रीय वन अधिकारी गणेशीलाल गोठवाल तथा कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
*यह है रैप्टर*
शिकारी पक्षी, जिन्हें रैप्टर के रूप में भी जाना जाता है। ये चूहे, सांप जैसे कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कुछ रैप्टर सबसे प्रभावी सफाईकर्मी होते है और पारिस्थितिकी तंत्र को साफ रखने और बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करते है। भारत में रैप्टर की 107 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें से 15 प्रजातियां खतरे में है। रैप्टर्स की आबादी कम है, जिन्हें विशिष्ट आवास की आवश्यक्ता होती है और इसलिए वे अपने पर्यावरण में परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते है। वनों की कटाई, पर्यावरण प्रदूषण, विषाक्त पदार्थ, कीटनाशकों का उपयोग, हानिकारक पशु चिकित्सा दवाएं आदि उनकी आबादी और आवास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे है।
शैक्षिक, जागरूकता और संरक्षण उद्देश्यों के लिये रैप्टर प्रदर्शनियां आवश्यक रूप से महत्वपूर्ण है एवं ये पर्यटकों एवं नागरिकों के लिये कई लाभ प्रदान करती है। जैसे शिक्षा, प्रकृति की सराहना, संरक्षण जागरूकता, सांस्कृतिक अनुभव, आर्थिक प्रभाव, मनोरंजन मूल्य, वन्यजीव पूनर्वास सहायता आदि।
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