चोंमू के ग्राम पंचायत कानपुरा में पटवारी की लापरवाही अब पड़ रही है भारी****
*चोंमू के ग्राम पंचायत कानपुरा में पटवारी की लापरवाही अब पड़ रही है भारी****
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ग्राम पंचायत कानपुरा के पटवारी की लापरवाही से वर्ष 2002 में कार्यरत पटवारी ने शिम्भूपुरा गांव में गैर खातेदारी नामांतरण खोल दिया था। अब वह पटवारी की लापरवाही ग्रामीणों पर ही भारी पड़ रही है।
तत्कालीन विधायक रामेश्वर यादव ने वर्ष 1992 में गैर खातेदारी का आवंटन निरस्त करने को लेकर जिला कलेक्टर जयपुर को दिए थे ,आदेश।
वर्ष 2002 में शिम्भू पुरा गांव में पटवारी ने तालाब की भूमिका गैर खातेदारी के खातेदारों के नाम नामांतरण खोल दिया।
भूमाफिया वे सरपंच पति ने मिली भगत कर सरकारी जमीन हड़पने का बनाया था प्लान।।।
जेसीबी लेकर कब्जा करने पहुंचे भूमामिया तो हुआ खुलासा । ग्रामीणों ने किया विरोध तो दबंगई करते हुए दिखाया खातेदारी जमीन का प्रमाण।
ग्रामीणों का आरोप ,तालाब की भूमि को मिली भगत कर हड़पने का कर रहे हैं प्रयास, तालाब के कैचमेंट एरिया में लगे एक पॉइंट 50 करोड़ रुपए से अधिक सरकारी योजनाओं के तहत हो चुका है कार्य ❓ कार्य वह भी इनकी मिली भगत और जुगलबंदी से यानी पूरा पूरा भ्रष्टाचार वह सिर्फ कागजों में ही।।।।
सरकारी योजनाओं में कार्य अकाल राहत योजना में काम के बदलें अनाज योजना जल ग्रहण योजना ,नरेगा योजना के तहत में राजकीय पशु पाड़ा घर ,सड़क निर्माण, नलकूप ,पानी की टंकी ,ग्राम पंचायत द्वारा सीसी सड़क निर्माण, सामुदायिक भवन सहित अनेक कार्य हो चुके हैं।
लेकिन विडंबना फिर भी यह है । कि वहां भूमाफिया बता रहे हैं, कि अपनी भूमि ,, कैसे संभव ।। भूमि को बचाने के लिए धंरने पर बैठे ग्रामीण 24 वे दिन धरनें पर महिलाओं और बच्चे भी शामिल हुए । और धूप तथा छांव और पानी के बीच संघर्ष जारी रहा । बरसात के कारण धरने पर बैठे लोगों के टेंट पानी में डूब गए। मुख्यमंत्री सहित प्रशासनिक अधिकारियों को करवा दिया मामले में अवगत ।। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अत्यंत अचंभित करने वाला सवाल है यह।।।
डबल इंजन की सरकार और लोक चर्चा में पर्ची सरकार ,की लापरवाही कहलाई जाएगी ,,,की सभी सबूत होने के बावजूद प्रशासन कोई भी कार्यवाही नहीं कर रहा है। ग्रामीणों ने तालाब की जमीन को बचाने के लिए लगाई गुहार अब सवाल , क्या तालाब की जमीन को खुर्द बुरद /येन केन प्रकारेण, हड़पने का करने का प्रयास होगा सफल या फिर भूमाफिया के सामने ग्रामीणों के हौसले होंगे पस्त, या फिर प्रशासन लगा ग्रामीणों की गुहार पर एक्शन या प्रदर्शनकारी और स्थानीय निवासियों ने यह बाइट हमारे संवाददाता को दी ,जिसके कुछ अंश प्रस्तुत है।
कुल मिलाकर वर्तमान राजस्थान सरकार में स्थानीय आम जनों का कार्य नहीं हो पाता ,क्योंकि उनकी समस्या की फाइल अटकी ही रहती है।
रिपोर्टर ::: वॉइस ऑफ़ मीडिया::: राजस्थान शिंभू सिंह शेखावत
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