संकट के समय भामाशाहों को किया जाता है याद-साध्वी संयमलता
संकट के समय भामाशाहों को किया जाता है याद-साध्वी संयमलता
उदयपुर जनतंत्र की आवाज विवेक अग्रवाल। श्रमणसंघीय साध्वी डॉ.संयमलता ने कहा कि आज जहाँ कहीं संकट और अभाव होता है तो भामाशाह को याद किया जाता है। दानदाता और सहयोग करने वालों को ‘भामाशाह’ संबोधित करके प्रोत्साहित किया जाता है। भामाशाह आज भी सहयोग और देशभक्ति के प्रेरणापुंज बने हुए हैं।
अहिंसापुरी जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस समय दानवीर भामाशाह ने अपनी सम्पत्ति का समर्पण किया, उस समय मेवाड़ की स्वतंत्रता और संस्कृति की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप कड़ा संघर्ष कर रहे थे। अर्थ की दृष्टि से महाराणा और सेना के लिए धनाभाव था। तब भामाशाह ने अपना निजी अर्जित धनकोश महाराणा के चरणों में अर्पित कर दिया। साध्वी डॉ संयमलता ने आगे कहा कि भामाशाह दानवीर ही नहीं थे, उन्होंने युद्धवीर के रूप में तलवार उठाकर हल्दीघाटी रणक्षेत्र में सेना का नेतृत्व भी किया।
मेवाड़ के चहुँमुँखी विकास में भामाशाह का अप्रतिम योगदान है, यही कारण है कि इतिहासकारों ने भामाशाह को ‘मेवाड़ उद्धारक’ कहा। दानवीर भामाशाह ने राष्ट्र की बलिवेदी पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर राष्ट्रीय स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखने का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया था। भामाशाह से प्रेरणा लेकर गरीबों की सेवा में आगे बढ़कर पीड़ित मानवता की सेवा करना ही दानवीर भामाशाह के जयंती समारोह की सार्थकता होगी।
नवकार महामंत्र के जाप से शुरू हुई धर्मसभा में साध्वी अमितप्रज्ञा ने कहा कि भामाशाह दानवीर के साथ ही युद्धवीर भी थे। भामाशाह की उदारता और दानशीलता उनके जीवनकाल में ही चर्चित हो चुकी थी। वे विद्वानों, कवियों और साहित्यकारों को मुक्त मदद करते थे। उनके साहित्य के सृजन में सहयोग करते थे।
साध्वी कमलप्रज्ञा ने कहा कि वीर शिरोमणि के रूप में तो राजस्थान की माटी तो सबके लिए नमनीय है ही पर दानवीरों की दृष्टि से भी इतिहास सदा ही आंखों पर चढ़ा हुआ है। इस कड़ी में भामाशाह का नाम तो श्दानवीरश् का पर्याय ही हो गया। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने सुमधुर आवाज़ में गीतिका प्रस्तुत की।
चातुर्मास संयोजक ललित लोढा ने बताया कि धर्मसभा में चातुर्मास व्यवस्था समिति 2024, हिरण मगरी सेक्टर 4 युवा मंडल, श्रमण संघ विहार ग्रुप, देवेंद्र महिला मंडल, ब्राह्मी महिला मंडल, चंदनबाला महिला मंडल, अहिंसापुरी श्री संघ एवं उदयपुर के विभिन्न उपनगरों से अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें