बीएन संस्थान में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन
बीएन संस्थान में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन
विवेक अग्रवाल
उदयपुर संवाददाता (जनतंत्र की आवाज ) 24 दिसंबर। स्थानीय बीएन कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी में शनिवार को गीता जयंती का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ युवराज सिंह सारंगदेवोत ने बताया कि इस्कॉन उदयपुर के यूथ फोरम डायरेक्टर हरिकृपा दास प्रभु ने इस अवसर पर कहा कि जीवन में जो भी समस्या का समाधान चाहिए वह गीता में मिलता है गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है। यह मार्गशिर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है इसे मोक्षदा एकादशी और वैकुंठा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भगवान श्री कृष्ण ने धर्म और कर्म को समझाते हुए 700 श्लोकों के माध्यम से अर्जुन को कर्म में प्रवृत होने का उपदेश दिया है। गीता ही एकमात्र ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है, यह गीतोपनिषद भी कहा जाता है क्योंकि यह उपनिषदों के साररूप में है। गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से समस्त कठिनाइयों और शंकाओं का निराकरण होता है। गीता के दिए उपदेशों पर चलने से व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। इससे जीवन जीने की कला प्रबंधन और कर्म इसमें सब कुछ है इसलिए गीता का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष कर्नल प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत ने अपने संदेश के माध्यम से बताया कि गीता का लिखा प्रत्येक श्लोक सबके लिए समान रूप से कल्याणकारी और लाभकारी है, गीता वैश्विक ग्रंथ है। इससे मनुष्य में अच्छे -बुरे, सही -गलत का फर्क मालूम पड़ता है। संस्थान के सचिव ने सन्देश में कहा की डॉ महेंद्र सिंह आगरिया ने कहा कि प्रत्येक प्राणी के कल्याण का मार्ग गीता में समाहित है, प्रत्येक व्यक्ति को गीता का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया की गीता को लेकर जागरूक बने और नियमित इसका अध्ययन करें। प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने कहा कि गीता जीवन जीने की अभिव्यक्ति है यह किसी एक धर्म की विशेष के लिए ना होकर सभी के लिए समान उपयोगी है, इस वर्ष गीता की 5160 वीं जयंती मनाई जा रही हैं इसमें सभी ग्रंथो का निचोड़ व सारतत्व है। यह उपदेश कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर पर युद्ध से पहले 45 मिनट तक सुनाया था और यह महाभारत के भीष्म पर्व में आता है और इसमें कृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85 संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने एक श्लोक बोला था। अल्बर्ट आइंस्टीन, स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, वीर सावरकर, थोरो, अरविंद घोष, विनोबा, आईजनहोवर, सुनीता विलियम्स आदि सभी गीता से बहुत प्रभावित थे और नियमित इसका वाचन अनुसरण करते थे। इस गोष्ठी में डॉ सिद्धराज सिंह सिसोदिया, डॉ कमल सिंह राठौड़, डॉ जय सिंह वाघेला, डॉ प्रदीप गोयल, डॉ राम सिंह सारंगदेवोत, डॉ जितेंद्र सिंह, डॉ अंशु, वर्षा सोनी, सुरेंद्र सिंह, जगदीश सिंह, राजेश परिहार आदि विद्यार्थियों सहित उपस्थित थे। हरिकृपा दास ने सभी से नियमित दो श्लोक पढ़ने का आव्हान किया और सबके प्रश्नों का भी समाधान किया।
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