*बांसवाड़ा जिले में धारा 144 का अर्थ आदिवासी वर्ग के अधिकारों का बलपूर्वक दमन:-आदिवासी आरक्षण मंच।

 *बांसवाड़ा जिले में धारा 144 का अर्थ आदिवासी वर्ग के अधिकारों का बलपूर्वक दमन:-आदिवासी आरक्षण मंच।*



 *आज दिनांक 3 सितंबर 2023 रविवार को आदिवासी आरक्षण मंच की बैठक का आयोजनभील समग्र विकास परिषद भवन कुशलगढ़ में किया गया। विभिन्न वक्ताओं ने अलग-अलग प्रकार से तर्क दिए उन्होंने बताया की बांसवाड़ा जिले में  2 महीने के लिए धारा 144  लगाई गई है। जो बिल्कुल गलत तरीके से लगाई गई हैं। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को रैली और धरना प्रदर्शन कर सकता हैं। लेकिन बांसवाडा जिले में धारा 144 लगाकर  जनजातियों को  जेलों में डाला जा रहा है। आदिवासी वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित करने का बहुत बड़ा सद्यंत्र हैं ।   बांसवाड़ा के अंदर आदिवासी वर्ग के लिए ही सिर्फ धारा 144 लगाइए हैं। बाकी राजनीतिक प्रचार, रैलियां,सभाएं  और त्यौहार होते रहेंगे। लेकिन आदिवासी वर्ग न हड़ताल कर सकता हैं और न रैलियां,सभाएं आयोजित कर सकता हैं। आदिवासी आरक्षण मंच के केंद्रीय कमेटी  सलाहकार प्रोफेसर कमलकांत कटारा ने बताया की जब भी हम अधिकारों की बात को लेकर के आगे आते हैं तो राजनेता हमारे खिलाफ प्रशासन को खड़ा कर देता है और धारा 144  राजनेताओं के कहने पर लगा दी जाती है । आदिवासी आरक्षण मंच की तुलना काकरी  डूंगरी  आंदोलन से करना बिल्कुल गलत बात है। काकरी डूंगरी  हत्याकांड मामले कि जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली थीं । आदिवासी आरक्षण मंच जो आंदोलन कर रहा है उसकी स्वयं जिम्मेदारी भी ले रहा है। प्रो. कटारा ने कहा की सरकार के पास अब भी एक महीना है TSP क्षेत्र कि  मुख्य तीन मांगे जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण, राज्य में जनजाति वर्ग को 12% आरक्षण में से टीएसपी क्षेत्र में 6.5% पृथक आरक्षण और न्यूनतम बाध्यता का कोटा पूर्णतः समाप्त किया जाए इन सभी मांगों को लेकर के लगातार संघर्ष कर रहा है ।  सरकार सतर्क हों जाए सिर्फ़ आदिवासियों को वोट बैंक समझना बंद करें ।  स्थानीय प्रशासन भी आदिवासियों के अधिकारों का सम्मान करें और सरकार तक आदिवासियों की मांगे पहुंचने का प्रयास करें।  प्रो. कटारा ने बताया कि 9 सितंबर 2023, शनिवार को आदिवासी आरक्षण मंच का महासम्मेलन गंगा डूंगरी ,घाटीगड़ा,बागीदौरा  में किया जा रहा है । जिसमें हर घर से कम से कम दो व्यक्तियों को आने के लिए कहा है । उन्होंने कहा कि  महासम्मेलन के अंदर कम से कम डेढ़ से 2 लाख की संख्या इकट्ठी होनी चाहिए  । जिला कमेटी सदस्य डा.सोमेश्वर जी गरासिया ने बताया की शांतिपूर्वक महासम्मेलन  कि मांगों को  सरकार पूरा करे नहीं तो जनता  जाग चुकी है। जनजाति प्रमुख कांतिलाल गरासिया ने बताया कि यह आंदोलन उस समय तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती  हैं । सरपंच महेश मईडा ने 25 अगस्त के  आर पार महापड़ाव से पहले पुलिस प्रशासन ने  कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया वह गलत तरीका है। टीएसपी क्षेत्र में अधिकारों  का बलपूर्वक दमन किया जा रहा है । जनजाति वर्ग शांतिप्रिय  कॉम है इनकी बातों पर सरकार अमल करें।  कार्यक्रम में जिला कमेटी सदस्य विजय मईडा ,  सज्जनगढ़ ब्लॉक संयोजक कमलेश पारगी, केसर सिंह डामोर ,चरण सिंह डामोर, दिनेश चंद्र खड़िया,  अश्विन डामोर , प्रवीण कुमार मुनिया ,ललित कुमार भाभोर, राजेंद्र डोडियार, कुलदीप सिंह डामोर  नेव चंद डामोर ,पप्पू डिंडोर , रामलाल कटरा सोहनलाल डोडियार,  पंकज कटारा ,जीवन लाल निनामा, नागु बारिया, जसवंत पारगी ,मानसिंह डामोर ,निर्भय सिंह मईडा ,राजेंद्र डोडियार ,रामलाल कटारा, हकजी महाराज आदि लोग मौजूद थे ।कार्यक्रम का संचालन केसर सिंह डामोर ने किया।अंत में आभार व्यक्त ब्लॉक संयोजक दिलीप वसुनिया ने किया।*

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