प्रभु भक्ति ही आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग - साध्वी डॉ विश्वेश्वरी
प्रभु भक्ति ही आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग - साध्वी डॉ विश्वेश्वरी
उदयपुर। आप द्वारा किये गये किसी भी निष्काम कर्म के माध्यम से यदि समाज को सत्प्रेरणा मिलती है तो उस कार्य का उजागर करना शुभफलदायी होता है। लेकिन यदि आप अपने कामों का दिखावा अपने अहंकार को बढ़ाने के लिए करते हैं तो उसका शुभ फल मिलना संदिग्ध है। यहाँ हिरणमगरी सेक्टर चार स्थित श्री गोकुल गार्डन परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए कथा वाचिका साध्वी डॉ विश्वेश्वरी देवी ने कहा कि गोपियाँ कृष्ण से प्रेम करती है क्योंकि वह उनके साथ एकाकार हो गई है। यदि कोई सांसारिक भक्त राधा रानी की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे स्वय को कृष्ण भक्ति में लीन करना पड़ेगा । और इसी प्रकार कृष्ण को प्रसन्न कर कृपा प्राप्त करनी है तो राधा रानी की शरण में जाना होगा यह आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग का प्रत्यक्ष उपाय है। श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव मंगलवार से शुरू हुई । कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है । कथा आयोजक नगेंद्र शर्मा-कल्पना शर्मा ने बताया कि श्रीराम कृपा धाम हरिद्वार की यशस्वी कथा वाचिका साध्वी डॉ विश्वेश्वरी देवी ने भागवत कथा महोत्सव के तहत कृष्ण वंदना के साथ व्यास पीठ से कथावाचन शुरू किया । तीसरे दिन की कथा में साध्वी ने कहा कि प्रभु भक्ति करना और प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाना विभिन्न सांसारिक समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होने कहा कि नियमित कथा श्रवण से मन में आया विकारों को दूर करने में मदद मिलती है। प्रभु भक्ति में समस्त समस्याओं का समाधान है इसलिए स्वयं को सांसारिक कार्यों से निवृत्त करते हुए कुछ समय निकालकर प्रभु का भजन भी करना चाहिए।
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