इंटक एटक एचएमएस सीटू राज.सीटू* *केन्द्रीय श्रमिक संगठनों का धरना*

 *इंटक    एटक    एचएमएस    सीटू    राज.सीटू*

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        *केन्द्रीय श्रमिक संगठनों का धरना*






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जयपुर। केन्द्रीय श्रमिक संगठन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, राज० सीटू के तत्वाधान में देशभर के श्रमिकों के 14 सूत्रीय मांगों पर केन्द्र सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कार्यवाही नही किए जाने के विरोध में शहीद स्मारक पर विशाल धरना करके विरोध प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम के तहत विभिन्न केन्द्रीय श्रमिक संगठनों से संलग्न सैकड़ो कर्मचारियों ने इसमें भाग लिया। इस अवसर पर उपस्थित श्रमिको को मुकेश माथुर, कुणाल रावत, भंवर सिंह, घासी लाल शर्मा, रामपाल सैनी, एम. एल. यादव, विनीत मान, रविन्द्र शुक्ला, जीवन सिंह, रमेश चतुर्वेदी, बी. एम. सुन्डा, आर. के. सिंह, मोहन चेलानी, मुकेश चतुर्वेदी, डी० के छंगानी, बिरदू राम सैनी, तारकेश्वर तिवारी, एस.के. शर्मा, बजरंग मीना, नारायण सिंह, धर्मवीर चौधरी, सुनीता चतुर्वेदी, तारा सिंह, केशव व्यास,सुरेश सिंह खानडी वीरेंद्र चौधरी, आलोक दुबे, संजय शेखावत, किशन सिंह राठौड़, सुरेन्द्र कश्यप आदि ने संबोधित किया। विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि श्रमिकों को न्यूनतम वेतन रु. 26000 एवं पेंशन 10 हजार प्रतिमाह दी जानी चाहिए। किसानों को तमाम फसल उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सुनिश्चित होना चाहिए। श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, काम की गारंटी, मनरेगा में 200 दिन का रोजगार और 600 रु प्रतिदिन मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए। विभिन्न नेताओं ने कहा कि आम जरूरत की वस्तुएं आम आदमी की पहुँच से बाहर है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाया जाना चाहिए। देशभर के सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीब वंचित लोगों पर आए दिन हो रहे अत्याचार पर रोक लगे, इसके लिए केन्द्र सरकार कड़े कदम उठाएं। सार्वजनिक क्षेत्र एवं सेवाओं के निजीकरण से देश के आमजन को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि गरीब, खेतिहर मजदूर, मध्यम किसान के ऋण एक बारगी शत-प्रतिशत माफ किए जाएं। चार लेबर कोड श्रमिको के एवं बिजली संशोधन बिल-2022 आमजन के हित में नहीं है, इसलिए इन्हें रद्द किया जाना चाहिए।


धरने में श्रमिकों में केन्द्र सरकार की हठधर्मिता एवं श्रमिक विरोधी रवैये के प्रति कड़ा रोष प्रदर्शित हुआ। धरने के दौरान श्रमिकों ने बीच-बीच में अपनी मांगों के समर्थन में एवं केन्द्र सरकार के विरुद्ध नारेबाजी भी की।



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