गरीब परिवार की तरसती रह गई आंखें नही मिला सरकारी आवास*

 *गरीब परिवार की तरसती रह गई आंखें नही मिला सरकारी आवास*




*धन की डिमांड पूरी करने वाले ही होते है पीएम आवास के पात्र जिसने धन की डिमांड नहीं पूरी की वह अपात्र होता है*


सुभाष तिवारी लखनऊ


 *कौशाम्बी* प्रधानमंत्री आवास योजना अधिकारियों की अदूरदर्शिता ना समझी के चलते पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है गरीब कमजोर निर्धन आवास हीन लोग एक अदद आवास के लिए दो दशक से तरस रहे हैं तमाम सरकारी योजनाएं आई तमाम नेताओं अधिकारियों ने भाषण दिया तमाम जांच पड़ताल और समीक्षा अधिकारियों ने किया लेकिन गरीब एक अदद आवास नहीं पा सका जिससे पूरी सरकारी योजना बकवास साबित हो रही है प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव का कहीं भी आधिकारिक रोल नहीं है लेकिन उसके बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना में जुड़े अधिकारी ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव के आश्रित रहते हैं जिसका लाभ उठाकर पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान धन वसूली करते हैं जिसने धन की डिमांड पूरी कर दी वह पात्र होता है और जिसने धन की डिमांड नहीं पूरी की वह अपात्र होता है


चायल तहसील के ग्राम सभा रसूलपुर के मजरा नोहरी के पुरवा गांव की अनीता देवी पत्नी बोधनारायण विश्वकर्मा एक गरीब परिवार से है और यह कच्चे मकान झोपड़ी नुमा मे रह रही है थोड़ा भी बारिस हुई तो पानी घर मे घुस जाता है अनीता देवी पूरी रात हांथों से उलचकर पानी बाहर बहाती है लेकिन इसे आज तक ग्राम प्रधान ग्राम सचिव अथवा सरकार ने एक आवास देना मुनासिब नही समझा न जाने कब कच्चा माकान झोपड़ी नुमा भरभरा कर गिर जाये जिससे अनीता देवी को या उसके परिवार को आर्थिक शारीरिक कोई नुकसान हो जाये एक गरीब परिवार की आंखें एक आवास के लिये बीस साल से तरसती रह गई लेकिन आज तक उसे एक सरकारी आवास नही मिल सका देखा जाय तो कहीं कहीं ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव अपात्रों को आवास की झरी लगा देते हैं लेकिन पात्र लोगों को आवास की झलक भी देखने को नही मिलती और उनकी आंखे एक आवास के लिये तरसती रहती है प्रधानमंत्री आवास धन वसूली का साधन बन गया है और जिसने ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान के डिमांड पूरी कर दी उसे प्रधानमंत्री आवास मिल जाता है और जो गरीब ग्राम पंचायत सचिव वा ग्राम प्रधान की डिमांड नहीं पूरी कर पाता उसकी पात्रता भी धन वसूली के चलते पीछे छूट जाती है हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना में कहीं भी पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान का आधिकारिक रोल नहीं है लेकिन जिन अधिकारियों को प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है वह केवल पंचायत सचिव ग्राम प्रधान पर आश्रित हो जाते हैं जिसका लाभ पंचायत सचिव ग्राम प्रधान उठाते हैं

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