बवासीर में अत्यधिक फायदेमंद है जंगली गोभी।

 बवासीर में अत्यधिक फायदेमंद है जंगली गोभी।




जंगी गोभी या जंगली गोभी पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग की जाती है। यह पौधा गठिया, गुर्दे और यकृत की बीमारियों, साथ ही नेत्र रोगों के इलाज में उपयोगी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह बवासीर (पाइल्स) के इलाज में आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है, क्योंकि इसमें फाइबर, विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके सूजनरोधी (anti-inflammatory), जीवाणुरोधी (antibacterial), और घाव भरने वाले गुण बवासीर के लक्षणों जैसे दर्द, जलन, खुजली, और रक्तस्राव को कम करने में मदद करते हैं।

श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि जंगली गोभी जिसका वानस्पतिक नाम लौनिया प्रोकम्बेन्स है यह एस्ट्रेसी कुल का सदस्य है इसकी ताज़ी पत्तियों को पीसकर दो से तीन चम्मच रस निकालें। सुबह खाली पेट शहद के साथ पिएं। यह कब्ज को दूर करता है और मल त्याग को आसान बनाता है जंगली गोभी की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाएं। प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं, इससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है। जंगली गोभी को घी में पकाकर सेंधा नमक मिलाएं। सात से आठ दिन तक रोटी के साथ खाएं। यह खूनी और बादी बवासीर में आराम मिलेगा है। जंगली गोभी का रस निकालकर उसमें काली मिर्च और मिश्री मिलाकर पिएं। यह खूनी बवासीर में रक्तस्राव को तुरंत रोकने में मदद करता है। सुबह खाली पेट जंगली गोभी के दस पत्ते और दो काली मिर्च चबा चबा कर खाएं और पानी पिएं। लगभग बीस दिन तक तली-भुनी, मसालेदार, और बादी वाली चीजों से परहेज करें। इससे बवासीर जड़ से ठीक हो जाता है। इसके अलावा इसका पारंपरिक रूप से गठिया और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता रहा है तथा इस पौधे का उपयोग गुर्दे और यकृत की शिथिलता के इलाज में भी किया जाता है। यह आंखों की बीमारियों के लिए भी उपयोगी माना जाता है। इस पौधे के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी गुण होते हैं, जो त्वचा की उम्र बढ़ने और झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

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