जीवाणुरोधी व कवकरोधी गुणों से भरपूर है कस्तूरी भिन्डी।
जीवाणुरोधी व कवकरोधी गुणों से भरपूर है कस्तूरी भिन्डी।
कस्तूरी भिंडी एक औषधीय पौधा है जो आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके बीज, पत्तियाँ, जड़ें और फूल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम एबेलमोस्कस मोस्कैट्स है यह मालवेसी कुल का पादप है जिसे कस्तूरी भिन्डी, मुस्कदाना या जंगली भिन्डी भी कहा जाता हैं इसके के बीजों में फाइबर की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है, जो पाचन तंत्र के सुधारने में उपयोगी होती है। यह कब्ज, अपच और गैस जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।इसका काढ़ा भूख बढ़ाने और पेट से संबंधित समस्याओं को दूर करने में उपयोगी है। कस्तूरी भिंडी में एंटी-बैक्टीरियल और सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो मूत्र मार्ग के संक्रमण (UTI) और पेशाब में जलन को कम करने में प्रभावी हैं। यह बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकता है और मूत्रमार्ग की सूजन को कम करता है।इसके मूत्रवर्धक (diuretic) गुण मूत्र प्रवाह को बढ़ाने और पथरी की समस्या में राहत प्रदान करने में उपयोगी हैं। इसके बीजों का तेल और पत्तियों का लेप त्वचा की समस्याओं जैसे दाने, मुंहासे, और दाग-धब्बों को कम करने आदि में प्रभावी है। इसमें मौजूद लिनोलेनिक अम्ल त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है इसके एंटीसेप्टिक गुण घावों को जल्दी ठीक करने और त्वचा के संक्रमण को रोकने में उपयोगी हैं। यह त्वचा की खुजली और सूजन को कम करने के लिए भी उपयोगी है। कस्तूरी भिंडी के बीजों का काढ़ा खांसी, जुकाम, और कफ को ठीक करने में उपयोगी है। यह गले की खराश और अस्थमा जैसे श्वसन रोगों में राहत देता है। इसके बीजों का पेस्ट छाती पर लगाने से खांसी और बलगम की समस्या में आराम मिलता है। इसका तेल मालिश के लिए उपयोग किया जाता है, जो मांसपेशियों को आराम देता है।
डॉ कांटिया ने बताया कि आयुर्वेद में कस्तूरी भिंडी को कामोत्तेजक (aphrodisiac) माना जाता है। यह पुरुषों में यौन शक्ति और प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है यह महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितताओं को ठीक करने और गोनोरिया जैसे यौन संचारित रोगों में भी लाभकारी होता है। इसके बीजों की सुगंध तनाव, चिंता, और अनिद्रा को कम करने में सक्षम है। इसका उपयोग अरोमाथेरेपी में किया जाता है। इसकी खुशबू मस्तिष्क को शांत करती है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह मुक्त कणों (free radicals) से होने वाले नुकसान से बचाता है। कस्तूरी भिंडी में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफेनोलिक यौगिक हृदय को स्वस्थ बनाए रखने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं। लता कस्तूरी (कस्तूरी भिंडी की एक प्रजाति) का उपयोग आँखों से संबंधित समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है। इसके बीजो को चूर्ण, काढ़ा, या तेल के रूप में उपयोग किए जाता हैं। इनका काढ़ा पाचन और श्वसन समस्याओं के लिए उपयोगी होता है। इसकी पत्तियो का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने या काढ़े के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी जड़ों का चूर्ण या काढ़ा यौन स्वास्थ्य और अन्य समस्याओं के लिए उपयोगी हैं इसके बीजों का तेल मालिश, त्वचा की देखभाल और घावों के उपचार में उपयोगी है। तथा इसकी छाल का लेप के रूप में त्वचा की समस्याओं और घावों को ठीक करने में उपयोगी माना जाता है। इनके अलावा कस्तूरी भिंडी में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों को बढ़ाते हैं जैसे विटामिन सी, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन आदि। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि खनिज तत्व व अन्य यौगिक जैसे पॉलीफेनोलिक यौगिक, कैरोटीन, फोलिक एसिड, लिनोलेनिक और ओलिक एसिड आदि भी पाए जाते है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-कैंसर, एंटी-फंगल, और एंटी-फैटिग गुण पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होते है।
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